कोरोना संकट, ढुलाई की दिक्कत और देशी खरीदारों की कमी के बाद भी मलिहाबादी दशहरी को बड़े पैमाने पर विदेश भेजने की तैयारी है। पहली बार जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों से भी दशहरी के ऑर्डर मिले हैं।
इसके अलावा खाड़ी देशों दुबई, सऊदी अरब, ओमान और कतर से भी दशहरी के ऑर्डर अब तक आ चुके हैं। बीते साल भी कोरोना संकट और लाकडाउन के बावजूद उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद-काकोरी से 117.28 टन आम का निर्यात किया गया है। इस बार जिस तादाद में विदेशी ऑर्डर आ रहे हैं उससे लगता है ये आंकड़ा 130 टन के पार जा सकता है। आम निर्यात की नोडल एजेंसी उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के अधिकारियों का कहना है कि विदेशों से मलिहाबाद के दशहरी के अलावा बनारसी लंगड़ा और चौसा आमों की भी खासी मांग हो रही है। मलिहाबाद में मैंगो पैक हाउस से इस समय आम के निर्यात की तैयारियां तेजी से चल रही है।
आम कारोबारी और मशहूर बागवान नफीस नर्सरी के शबीहुल हसन बताते हैं कि इस बार भी मलिहाबादी दशहरी के लिए यूरोपीय देशो जैसे जर्मनी और इंगेलैंड से ऑर्डर आए हैं और आने वाले दिनों में और भी देशों से मांग आ सकती है। उनका कहना है कि मलिहाबाद के मैंगो पैक हाउस से दशहरी के अलावा प्रदेश के अन्य हिस्सों में पैदा होने वाला दूसरी वैरायटी का आम भी निर्यात की पैकिंग के लिए आता है।
प्रदेश सरकार ने आम के कारोबार के लिए खासतौर पर यहां वातानुकूलित मंडी का निर्माण कराया है हालांकि कोरोना संकट के चलते इस बार वहां से काम शुरू नहीं हो पाया है।
आढ़ती इदरीस बताते हैं कि कीमतों में गिरावट के चलते इस बार दशहरी सभी की पहुंच में रहेगा। दशहरी की पहली खेप 30 रुपये किलो के हिसाब से दिल्ली को रवाना की गई थी, जबकि अब दामों में करीब 20 फीसदी की और कमी आ चुकी है। राज्य से हर साल 2500-2600 करोड़ रुपये का आम का कारोबार होता है।