मिलों की ओर से मांग बढ़ने के कारण कपास के घरेलू बाजार में सुधार आ रहा है।
वर्तमान कपास सत्र (2008-09) में कपास के कारोबार में मंदी का रुख था, क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ जाने के कारण कारोबारी सुस्त पड़ गए थे।
चालू सत्र में भारतीय कपास निगम ने कपास की भारी खरीद की थी, जिससे कपास का बड़ा भंडार जमा हो गया था। मिलों और बुनकरों की ओर से कपास की मांग बढ़ने के बाद अब निगम के गोदामों से कपास निकलने की उम्मीद बन रही है।
सरकार ने 2007-08 के 2,055 रुपये प्रति क्विंटल से कपास की कीमतें वर्तमान सत्र में बढ़ाकर 2,850 रुपये प्रति क्विंटल कर दी थी। भारतीय कपास निगम के प्रबंध निदेशक सुभाष ग्रोवर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि पिछले 6 सप्ताह से कॉटन मिलों की ओर से कपास की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
निगम ने अपनी कुल खरीद का 70 प्रतिशत माल निकाल दिया है। उन्होंने कहा कि निगम ने मार्च तक अपने स्टॉक का 70 प्रतिशत माल बेच दिया है। निगम ने 2008-09 के दौरान रिकॉर्ड 88 लाख गांठ कवास की खरीद किसानों से की थी, जिसमें से 61 लाख गांठ कपास पहले ही घरेलू बाजार में बेची जा चुकी है। अभी निगम के गोदाम में 27 लाख गांठ कपास ही बची है।
सेंट्रल गुजरात कॉटन डीलर्स एसोसिएशन के किशोर शाह ने कहा कि देरी से ही सही बड़े कपास कारोबारी बाजार में आ गए हैं और वे सीसीआई से कपास की खरीद कर रहे हैं। ये कपास कारोबारी घरेलू मिलों के लिए कपास की खरीद कर रहे हैं।
इसके साथ ही कपास का सूत बनाने वाले, जो इस साल के दौरान करीब निष्क्रिय से रहे थे उन्होंने फिर से कपास की खरीदारी शुरू कर दी है। इसकी वजह से भी कपास की मांग में जोरदार बढ़ोतरी हुई है।
मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए सीसीआई ने भी कपास की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। सरकारी एजेंसी ने गुजरात और पंजाब में कपास की कीमत 100 रुपये प्रति कैंडी बढ़ा दी है। अब शंकर-6 किस्म के कपास की कीमतें 23,000 रुपये प्रति कैंडी हैं।
कपास के कारोबारियों के मुताबिक सीसीआई ने कपात की कीमतों में 500 रुपये प्रति गांठ की बढ़ोतरी एक ही दिन में दो सप्ताह पहले की थी। इसके परिणामस्वरूप कपास का हाजिर भाव एक सप्ताह पहले बढ़कर 1,800 रुपये प्रति कैंडी बढ़कर 23,000 रुपये पर पहुंच गया।
उद्योग जगत के दिग्गजों के मुताबिक सीसीआई द्वारा 61 लाख गांठ कपास का स्टॉक कम करना एक बड़ी उपलब्धि है। एजेंसी ने कॉटन मिलों, निर्यातकों और कारोबारियों के लिए भारी छूट योजनाएं चलाईं। एजेंसी ने 400-650 रुपये तक छूट देने का ऑफर दिया था।