कैलेंडर वर्ष 2020 में शानदार प्रदर्शन के बावजूद नए साल में सोने की कीमतों में तेजी बरकरार रहने के आसार हैं। विश्लेषकों का कहना है कि वर्ष 2021 में भी सोना एक आकर्षक निवेश बना रहेगा और इसलिए इस पीली धातु में निवेश को फिलहाल बरकरार रखना ही बेहतर होगा।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2020 में सोने की कीमतों में 2,067 डॉलर प्रति औंस (ओजेड) की दमदार तेजी दर्ज की गई क्योंकि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में ठहराव के बीच सुरक्षित निवेश के तौर पर पीली धातु की ओर निवेशकों का झुकाव बढ़ गया। दुनिया भर के ज्यादातर केंद्रीय बैंकों की उदार नीतियों के कारण भी इस ओर निवेशकों का झुकाव बरकरार रहा।
हालांकि, बाद में अर्थव्यवस्था के खुलने और धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधि में तेजी आने से पीली धातु की कीमत लगभग 1,857 डॉलर प्रति औंस तक घट गई। इसके बावजूद यह कैलेंडर वर्ष 2020 में 28 फीसदी मूल्य वृद्धि के साथ इस साल अब तक बेहतर प्रदर्शन करने वाले परिसंपत्ति वर्ग में शामिल है।
जेफरीज के वैश्विक प्रमुख (इक्विटी रणनीति) क्रिस्टोफर वुड ने कहा, ‘सोने में तेजी का एक अन्य कारण अमेरिकी डॉलर की वास्तविक दरों में गिरावट है।
इस समय इस बात की बहुत अधिक चर्चा हो रही है कि मुद्रास्फीति के अनुमानों के साथ बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि नहीं हुई क्योंकि मार्च की बिक्री के बाद से स्थिति सामान्य हो गई है। सोने के बारे में समझने की तकनीकी बात यह है कि सोने के लिए बाजार तैयार करने वाले सर्राफा बैंकों की अल्पकालिक नरमी से भी कीमत में तेजी आती है। आंकड़ों से पता चलता है कि सोना वायदा के मालिक वायदा अनुबंध खत्म पर सोने की फिजिकल डिलिवरी का विकल्प चुन रहे हैं।’
विश्लेषकों का मानना है कि आगे चलकर आर्थिक सुधार में तेजी आने से अमेरिकी डॉलर और कमजोर होगा जिससे सोने की कीमतों को बल मिलेगा। आमतौर पर निवेशक सोने को एक सुरक्षित ठिकाने के तौर पर देखते हैं और वे ऐसे समय में निवेश करते हैं जब फिएट करेंसी यानी ऐसी मुद्रा जो सोने जैसी कमोडिटी से समर्थित नहीं है, खतरे में दिखाई देती है
27 महीने के उच्चस्तर पर पी-नोट्स निवेश
भारतीय पूंजी बाजार में पर्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिए निवेश नवंबर में 27 महीने के उच्चतम स्तर 83,114 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। दूसरी तिमाही में कॉरपोरेट आय में सुधार और नकदी की स्थिति बेहतर होने के चलते पी-नोट्स से निवेश बढ़ा। पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो भारतीय शेयर बाजार में सीधे पंजीकृत हुए बिना उसका हिस्सा बनना चाहते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें एक तय प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार भारतीय बाजारों में पी-नोट्स निवेश, जिसमें इक्विटी, ऋण और हाइब्रिड प्रतिभूति शामिल हैं, नवंबर के अंत में बढ़कर 83,114 करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़ा अक्टूबर के अंत में 78,686 करोड़ रुपये था। गौरतलब है कि अगस्त 2018 के बाद यह निवेश का उच्चतम स्तर है, जब इस जरिये से कुल 84,647 करोड़ रुपए का निवेश किया गया था। सितंबर 2020 के अंत में पी-नोट्स के जरिए निवेश घटकर 69,821 करोड़ रुपये रह गया था। भाषा