प्रतीकात्मक तस्वीर
किसानों की आत्महत्या और सोयाबीन खरीद के लिए कथित तौर पर भुगतान नहीं किए जाने के मुद्दे पर हंगामे के बाद विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा से दो बार बहिर्गमन किया। विपक्ष ने दावा किया कि इस वर्ष के पहले तीन महीनों में राज्य में 700 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए एक स्थगन प्रस्ताव दिया। सरकार की तरफ से दावा किया गया कि वह किसान मुद्दे पर चर्चा के लिए किसी भी समय तैयार है।
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया, जिसमें शक्तिपीठ एक्सप्रेस वे को गोवा को नागपुर के साथ जोड़ने के लिए 20,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई। वडेट्टीवार ने कहा कि हर दिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं, और फिर भी सरकार उदासीन बनी हुई है। इस साल जनवरी से मार्च तक 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली। इनमें से 200 मामलों को (मृतक के परिजन के वास्ते) सहायता के लिए अयोग्य घोषित किया गया जबकि 194 मामलों में पूछताछ अभी भी लंबित हैं। उन्होंने सरकार पर चुनाव से पहले कर्ज माफी और लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने के झूठे वादे करने का भी आरोप लगाया। सोयाबीन और कपास उत्पादकों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य नहीं मिला है।
वडेट्टीवार ने लातूर की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि किसान अंबादास पवार ने खुद को हल से जोत लिया, क्योंकि वह बैलों को किराये पर नहीं ले सकते थे। समितियों का गठन करने के बजाय सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। किसान समितियां नहीं चाहते, वे राहत चाहते हैं। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर असंवेदनशीलता और चर्चा से बचने का आरोप लगाते हुए बहिर्गमन किया। सोयाबीन खरीद में अनियमितताओं और किसानों को भुगतान में देरी का विपक्ष द्वारा आरोप लगाये जाने के बाद सदन में गरमागरम बहस हुई। उन्होने दावा किया कि सोयाबीन उत्पादकों को उनकी उपज की खरीद के लिए भुगतान नहीं किया गया है।
विपक्ष के सवाल पर सहकारिता एवं विपणन मंत्री जयकुमार रावल ने सदन को बताया कि इस वर्ष राज्य में 562 केंद्रों पर रिकॉर्ड मात्रा में सोयाबीन की खरीद की गई। 51,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपज बेची और 5,500 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में भेजे गए। अकोला जिले के बालापुर तालुका में एक घटना को लेकर विवाद खड़ा हो गया। मंत्री ने कहा कि किसानों का एक समूह, अंदुरा शेतकरी कंपनी, खरीद रिकॉर्ड में दर्ज होने के बावजूद गोदाम में 1,297 क्विंटल सोयाबीन पहुंचाने में विफल रही। कंपनी प्रमुख के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है और जांच लंबित रहने तक 36 लाख रुपये रोक लिये गए हैं। रावल ने आश्वासन दिया कि विसंगति से प्रभावित किसानों को भुगतान सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन किया।
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सरकार की भूमिका बताते हुए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि किसान लाखों लोगों के अन्नदाता हैं और राज्य में सरकार किसानों की सरकार है। किसानों की समस्याओं और कठिनाइयों को समझना और उनका समाधान करना , किसानों की मदद करना सरकार की जिम्मेदारी है और हमारी सरकार इसे पूरा करेगी। सरकार किसानों की सभी समस्याओं पर किसी भी समय चर्चा करने के लिए तैयार है । अजित पवार ने कहा कि हम किसानों की समस्याओं से पूरी तरह वाकिफ हैं। सरकार उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। समस्या कोई भी हो सरकार हमेशा किसानों के पीछे मजबूती से खड़ी रही है और आगे भी खड़ी रहेगी। हम सिर्फ बातें नहीं करते , बल्कि वास्तविक कार्रवाई में विश्वास करते हैं। कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसलिए किसानों के हितों को सुनिश्चित करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना सरकार की नीति में सर्वोच्च प्राथमिकता है। सरकार किसी भी परिस्थिति में किसानों को अकेला नहीं रहने देगी ।