प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
सोयाबीन की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। सोयाबीन के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे चल रहे हैं। ऐसा तब हो रहा है, जब बारिश से सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ है। इसके साथ ही मंडियों में सोयाबीन की आवक भी कम हो रही है। जिंस विश्लेषकों की मानें तो कमजोर उत्पादन और आवक के बीच भाव बढ़ना चाहिए, लेकिन सोयाबीन सस्ता हो रहा है। इसकी वजह इस सोयाबीन की मांग कमजोर होना है।
मंडियों में सोयाबीन की नई आवक हो चुकी है। हालांकि यह पिछले साल से कम ही है। सोयाबीन की बेंचमार्क मंडी इंदौर में सोयाबीन 4,300 रुपये क्विंटल के करीब बिक रहा है। महाराष्ट्र की मंडियों में भाव 3,500 से 4,000 रुपये क्विंटल के बीच चल रहे हैं। सोयाबीन के दाम एमएसपी से काफी नीचे हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपये क्विंटल घोषित किया है, जबकि इंदौर के भाव पर ही देखा जाए तो सोयाबीन एमएसपी से 1,000 रुपये नीचे बिक रही है। मध्य प्रदेश के सोयाबीन किसान सुनील पाटीदार ने कहा कि इंदौर में भले भाव 4,300 रुपये क्विंटल हों, लेकिन धार, हरदा व अन्य मंडियों में सोयाबीन एमएसपी से 1,500 रुपये से ज्यादा नीचे बिक रही है।
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कमोडिटी एक्सपर्ट और एग्रोकॉर्प इंटरनेशनल में रिसर्च हेड इंद्रजीत पॉल ने बताया कि मंडियों में भले नये सोयाबीन की आवक शुरू हो गई है। लेकिन आवक पिछले साल से कम ही हो रही है। जिंसों के दाम व आवक के आंकड़े रखने वाली एजेंसी एगमार्कनेट के मुताबिक इस साल 1 से 9 अक्टूबर के बीच मंडियों में 1.44 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जो पिछली समान अवधि की आवक 3.16 लाख टन से काफी कम है। फिर भी सोयाबीन के दाम गिर रहे हैं। इसकी वजह सोयाबीन की मांग कम होना है। सोयाबीन में इस समय नमी ज्यादा है। इसलिए पेराई वाले इसको कम खरीद रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोयाबीन और सोया तेल सस्ता है। सोया खली की मांग भी कमजोर है। यही कारण है कि कारोबारी, स्टॉकिस्ट और मिल वाले अभी धीमी गति से सोयाबीन खरीद रहे हैं। लिहाजा सोयाबीन के दाम में गिरावट दर्ज की जा रही है।
इस साल सोयाबीन की बोआई कम हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस खरीफ सीजन में 120.45 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है, जबकि पिछले सीजन में यह आंकड़ा इससे अधिक 129.55 लाख हेक्टेयर था। कम रकबा के बीच बारिश से सोयाबीन को नुकसान भी हुआ है। सोयाबीन किसान सुनील पाटीदार ने कहा कि हाल में कटाई के समय बारिश होने से सोयाबीन को नुकसान हुआ है। जिससे एक बीघा में 2 से 2.5 क्विंटल ही सोयाबीन निकल रहा है, जबकि इसे 3 से 4 क्विंटल निकलना चाहिए। पॉल ने कहा कि बोआई में कमी और अब बारिश से नुकसान के कारण कारोबारी अनुमान के मुताबिक इस साल 100 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले साल यह आंकड़ा 110 लाख टन था।