खनन उद्योग ने केंद्र सरकार से कहा है कि दोहरे कराधान का समाधान किया जाना चाहिए, जो भारतीय खनिज ब्यूरो (आईबीएम) द्वारा गैर कोयला खनिजों पर लिया जा रहा है। खनन मंत्रालय को लिखे पत्र में उद्योग संगठन सीआईआई ने कहा है कि खनिजों पर लागू शुल्क के ऊपर औसतन 20 प्रतिशत अतिरिक्त राशि ली जा रही है।
सीआईआई ने कहा कि यह शुल्क रॉयल्टी, प्रीमियम, जिला खनिज कोष (डीएमएफ) और राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) में लिया जा रहा है। सीआईआई ने अपने ज्ञापन में कहा है, ‘मासिक रिटर्न में घोषित मूल्य में उस राज्य के खनन व्यापारी द्वारा रॉयल्टी, डीएमएफ और एनएमईटी के मद में किया गया भुगतान शामिल होता है। आईबीएम द्वारा घोषित औसत बिक्री मूल्य में रॉयल्टी, डीएमएफ और एनएमईटी शामिल होता है और ऐसे में हर महीने में खनिज का दाम बढ़ जाता है।’
इसमें आगे कहा गया है कि खनिज का मूल्य भी कोयले की तर्ज पर तय किया जाना चाहिए, जिसमें पिट-हेड मूल्य कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा अधिसूचित किया जाता है और उसमें रॉयल्टी, उपकर, कर और शुल्क शामिल नहीं होता, अगर वह राज्य व स्थानीय प्राधिकरण लगाते हैं।
