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महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन में आई कमी

Last Updated- December 10, 2022 | 9:45 PM IST

देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में गन्ने की कमी की वजह से पेराई पहले बंद हो गई। इसका असर चीनी उत्पादन पर पड़ा है और इस सत्र में उत्पादन में 35 प्रतिशत की कमी आई है।
महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज फेडरेशन (शुगर फेडरेशन) के आंकड़ों के मुताबिक 18 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक चीनी का उत्पादन घटकर 45 लाख टन रह गया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में कुल उत्पादन 68 लाख टन था।
गन्ने की कुल पेराई इस सत्र के दौरान 390 लाख टन रही, जिसमें पिछले साल की समान अवधि में हुई 570 लाख टन गन्ने की पेराई की तुलना में 32.31 प्रतिशत की कमी आई है। शुगर फेडरेशन के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकवारे ने कहा कि इस साल गन्ने की बुआई कम क्षेत्रफल में हुई थी, जिसकी वजह से चीनी के उत्पादन में कमी आई है।
गन्ने की कमी की वजह से इस सत्र में करीब डेढ़ महीने कम पेराई हुई। अगर हम गन्ने की बुआई के क्षेत्रफल को देखें तो 2006-07 के 10 लाख हेक्टेयर की तुलना में 2007-08 में यह कम होकर 8 लाख हेक्टेयर रह गया।
बाद में 2008-09 में क्षेत्रफल कम होकर 7,87,000 हेक्टेयर रह गया। हुआ यह कि गन्ना किसान लाभ न होने की वजह से सोयाबीन, मक्का, कपास जैसी ज्यादा लाभ देने वाली फसलों की ओर आकर्षित हुए और गन्ने की बुवाई कम हो गई।
देश की 160 लाख टन अनुमानित चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र का योगदान 29 प्रतिशत का होता है। यहां पर गन्ने की तीन फसलें उगाई जाती हैं। गन्ने की पहली किस्म अदसाली के तैयार होने में 18 महीने लगते हैं, जिसकी रोपाई अप्रैल जुलाई के दौरान होती है और इसकी कटाई, रोपण के 18 महीने के बाद होती है।
दूसरी फसल 15 महीने में तैयार होने वाली किस्म की है, जिसकी रोपाई अगस्त नवंबर के दौरान होती है और तीसरी सुरु फसल की रोपाई दिसंबर-फरवरी के दौरान होती है, जो 12 महीने में तैयार होती है। गन्ने के कुल उत्पादन में तीन चौथाई हिस्सेदारी 15 महीने में तैयार होने वाली किस्म की है, जबकि अदसाली और सुरु का योगदान  क्रमश: 10 और 15 प्रतिशत है। इसके साथ ही मौसम की गड़बड़ी की वजह से राज्य में पेराई के उत्पाद में 0.64 प्रतिशत की कमी आई है।
बहरहाल महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने गन्ने की अनुपलब्धता की वजह से पिछले साल की तुलना में 2 महीने पहले ही पेराई बंद कर दी। शुगर फेडरेशन द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के मुताबिक कुल 118 चीनी मिलें यानी 85 प्रतिशत मिलें इस साल समय से पहले बंद हो गईं, जबकि पिछले साल कुल 4 मिलें बंद हुई थीं। इस साल कुल 143 मिलों में पेराई का काम शुरू हुआ था, जबकि पिछले साल 160 मिलों में पेराई का काम हुआ था।

First Published - March 26, 2009 | 11:15 PM IST

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