आगे घट सकते हैं डीएपी के दाम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:36 AM IST

डाई अमोनिया फास्फेट (डीएपी) पर सब्सिडी में 140 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी के बाद केंद्र सरकार को संभवत: इस साल आगे कोई समर्थन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डीएपी बनाने में काम आने वाले दो कच्चे माल का सबसे खराब दौर खत्म होने की संभावना है। इनपुट लागत में तेज बढ़ोतरी के कारण सरकार ने सब्सिडी बढ़ाई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बाद अब अमोनिया और फॉस्फोरिक एसिड (डीएपी बनाने के काम आने वाला दो प्रमुख कच्च्चा माल) की कीमतों में आने वाले महीनों में कमी आने की संभावना है, जिससे डीएपी को कुछ राहत मिलेगी। ऐसा इसलिए है कि अमेरिका, ब्राजील और चीन में डीएपी की सबसे ज्यादा मांग वाला सीजन करीब खत्म हो गया है और वहां पौधरोपण का सत्र करीब खत्म हो चुका है।
पिछले कुछ महीनों में इफको सहित सभी प्रमुख उर्वरक कंपनियों ने अन्य कॉम्लेक्स उर्वरकों सहित डीएपी की दरें बढ़ा दी थीं, क्योंकि फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया के अंतरराष्ट्रीय दाम 60 से 70 प्रतिशत बढ़े थे।
कल देर शाम केंद्र सरकार ने सब्सिडी 500 रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बोरी करते हुए डाई अमोनिया फॉस्फेट (डीएपी) की दरों में 58 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी वापस ले ली थी। इसमें 140 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई।
सब्सिडी में बढ़ोतरी से उर्वरक कंपनियों को डीएपी 1,200 रुपये प्रति बोरी की पुरानी दरों से बेचने में मदद मिलेगी, जो 1 अप्रैल, 2021 से बढ़ाकर 1,900 रुपये प्रति बोरी कर दी गई थी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में उर्वरकों पर 14,775 करोड़ रुपये अतिरिक्त सब्सिडी देगी। यह हर साल मिलने वाली 80,000-85,000 के करीब मिलने वाली उर्वरक सब्सिडी से अतिरिक्त होगी।
अगले 3-4 महीने में अमोनिया का हाजिर भाव 430 डॉलर प्रति टन से कम होकर 300 डॉलर प्रति टन जाने की उम्मीद है, जबकि फॉस्फोरिक एसिड के मामले में हाजिर भाव 998 डॉलर प्रति  टन से घटकर 700 से 750 डॉलर प्रति टन होने की संभावना है।
इक्रा रेटिंग्स में सीनियर वाइस प्रेसीडेंट और ग्रुप हेड सव्यसाची मजूमदार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘डीएपी की कीमत और इसके प्रमुख कच्चे माल अमोनिया और फॉस्फोरिक एसिड की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में शीर्ष स्तर पर है। पूरी संभावना है कि इसके बाद अब कीमतें कम होंगी, जिससे उर्वरक कंपनियों के इनपुट लागत में कमी आएगी और इसके बाद सब्सिडी का बोझ कम होगा।’ उन्होंने कहा कि अतिरिक्त सब्सिडी खरीफ सत्र की सब्सिडी जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त होगी और इससे उद्योग की क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत होगी।
आयातित डीएपी के मामले में सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कीमतें मौजूदा 560 डॉलर प्रति टन से कम होकर 475 से 500 डॉलर प्रति टन पर आ जाएंगी, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मांग कम हो जाएगी।
अगर डीएपी की इनपुट लागत कम होती है तो केंद्र सरकार मौजूदा 1200 रुपये प्रति बोरी से सब्सिडी समर्थन कम कर सकती है।
बहरहाल कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि अंतरराष्ट्रीय बाजार का व्यवहार कैसा रहेगा और क्या डीएपी की इनपुट लागत में उतनी कमी आएगी, जितनी उम्मीद की जा रही है?
फर्टिलाइजर एसोसिएशन आफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘प्लांटिंग सीजन के पहले उच्च कीमतों की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए कल का कदम उठाया गया है। अब आने वाले महीनों में कीमतें किधर जाएंगी, यह कहना बहुत कठिन है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई वजहें असर डालती हैं।’

First Published : May 20, 2021 | 11:17 PM IST