तौकते और यास चक्रवातों के कारण मई महीने में रिकॉर्ड उच्च बारिश से सौर बिजली का अत्यधिक उत्पादन करने वाले राज्यों पर अप्रत्याशित असर पड़ा है। अप्रैल और मई महीनों में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में काफी दिनों तक बादल छाए रहने से सौर बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष के मुकाबले 7 से 15 फीसदी की गिरावट आई है।
जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही बेमौसम बारिश को देखते हुए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को लगता है कि अब सौर बिजली उत्पादन की योजना बनाते समय जलवायु में होने वाले बदलावों को ध्यान में रखना पड़ेगा। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने कहा कि पिछले 120 वर्षों में मई में दूसरी सर्वाधिक बारिश हुई। मई के मध्य में गुजरात के तट पर आए तौकते तूफान और उसी महीने के अंत में बंगाल की खाड़ी में आए यास तूफान से पश्चिम, उत्तर पश्चिम और पूर्वी भारत में भारी बारिश हुई थी। आईएमडी ने कहा कि मई में पश्चिमी विक्षोभों के कारण से भी सामान्य से अधिक बारिश हुई।
सौर उत्पादन को सबसे अधिक नुकसान कर्नाटक में हुआ जहां पिछले वर्ष के मुकाबले उत्पादन में 15 फीसदी की कमी आई। यह जानकारी बंगलूरु स्थित अग्रणी ऊर्जा प्रबंधन सेवा कंपनी रीकनेक्ट एनर्जी के आंकड़ों से सामने आई है।
तौकते चक्रवात ने कर्नाटक के तटीय इलाकों में काफी उपद्रव मचाया जिससे कारण राज्य में कई हफ्तों तक भारी बारिश होती रही। यास चक्रवात के प्रभाव से राज्य में जून के पहले हफ्ते में ही मॉनसून पहुंच गया जो समय से पहले थे। सौर बिजली स्थापित क्षमता में कर्नाटक की हिस्सेदारी 7 गीगावॉट की है।
सर्वाधिक सौर बिजली क्षमता वाले राज्यों में से एक राजस्थान में मई में सौर उत्पादन 2020 की समान अवधि की तुलना में 6.18 फीसदी और 2019 की समान अवधि की तुलना में 7 फीसदी की गिरावट आई। चक्रवात तौकते से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला राज्य गुजरात में सौर उत्पादन में गिरावट लगभग राजस्थान के समान रही। इन दो राज्यों में अदाणी ग्रीन, हीरो फ्यूचर एनर्जीज, रीन्यू पॉवर, एक्मे सोलर आदि सहित देश की अग्रणी कंपनियों के सौर बिजली संयंत्र हैं।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में क्रमश: देश के दो सबसे बड़े सौर बिजली पार्क भादला और रीवा स्थित हैं। मध्य प्रदेश में सौर बिजली उत्पादन में गिरावट राजस्थान के समान रही। 2019 से देखें तो यह गिरावट 2021 में 13 फीसदी अधिक रही।
रीकनेक्ट एनर्जी में इंजीनियरिंग प्रमुख असीम अहमद ने कहा, ‘मौसम प्रारूप और जलवायु परिवर्तनों में बदलाव के कारण उत्पादन प्रारूप में बदलाव हो रहा है। मई में उत्पादन में आई गिरावट की संभावित भरपाई मॉनसून अवधि के जल्द समाप्त होने पर हो सकती है। इसलिए भले ही उत्पादन की भरपाई हो जाए लेकिन सौर बिजली उत्पादकों को बदलते प्रारूप को ध्यान में रखने की जरूरत होगी।’
उत्पादन में बदलाव का असर सौर बिजली उत्पादकों को महीने में किए जाने वाले भुगतान पर भी पड़ता है। अहमद ने कहा कि निवेशकों को इस क्षेत्र में अपने रुख में बदलाव लाने की जरूरत है।