इस साल के अंत तक कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर 115 डॉलर के आसपास चली जाएगी।
यह अनुमान एसोचैम ने जारी किए हैं। एसोचैम का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा 100 डॉलर पर ही नहीं रुकेगी। इसमें वृद्धि की पूरी गुंजाइश है।
इस उद्योग संगठन के प्रमुख सान जिंदल ने संभावना जताई कि निकट भविष्य में तेल का बाजार बहुत ज्यादा अस्थिर रहेगा। इसकी मुख्य वजह तेल उत्पादक देशों के बीच तनाव पैदा होने की उम्मीद है।
इसके चलते सट्टेबाजी गतिविधियां बढ़ सकती हैं। एसोचैम को उम्मीद है कि कड़ी मांग और आपूर्ति के चलते लंबी अवधि के लिए कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आएगी।
पिछले कुछ सालों में भारत और चीन जैसे विकासशील देशों से कच्चे तेल की मांग खासी बढ़ी है और उम्मीद है कि इसमें आगे भी तेजी बनी रहेगी।
हालांकि एसोचैम का मानना है कि अमेरिकी मंदी से कई दूसरे देश खासकर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होगी जिससे तेल की मांग पर असर पड़ेगा।
तेल की कीमतें बढ़ने से कई अर्थव्यवस्थाओं की तेल मांग घट सकती है। इसका तात्कालिक असर यह होगा कि कच्चा तेल 90 डॉलर तक गिर जाएगा।