ऊंची कीमतों के चलते घटेगा कपास का निर्यात

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 10:08 PM IST

पिछले साल की तुलना में इस साल देश के कपास निर्यात में कमी हो सकती है। गुजरात के कारोबारियों के मुताबिक, दुनियाभर के कपड़ा मिलों के सामने खड़ी नई मुसीबतों और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की ऊंची कीमतों के चलते कपास का निर्यात इस बार कम रहने की उम्मीद है।

हालांकि कारोबारियों को उम्मीद है कि कपास की आवक शुरू हो जाने के बाद इसकी कीमतों में जरूर कमी होगी। साउथ गुजरात कॉटन डीलर्स एसोसियशन (एसजीसीडीए) के अध्यक्ष किशोर शाह ने बताया कि 2007-08 में जहां  एक करोड़ बेल (1 बेल=170 किलोग्राम) कपास का निर्यात होने का अनुमान रहा है तो मौजूदा सीजन में लगभग 85 लाख बेल कपास निर्यात हो सकता है।

मालूम हो कि भारत से ज्यादातर कपास चीन को भेजे जाते हैं लेकिन चीन के तकरीबन 20 फीसदी चीनी मिल खस्ताहाल हैं। उद्योग जगत के मुताबिक, पिछले सीजन में कपास के रेकॉर्ड मूल्यों के चलते इन मिलों का मुनाफा काफी कम हो गया था।

इसके चलते 2008-09 में संभावना जतायी जा रही है कि कपास की वैश्विक खपत में कमी होगी। अहमदाबाद के कारोबारी फर्म अरुण दलाल एंड कंपनी के प्रमुख अरुण दलाल ने भी कहा कि इस सीजन में देश से कपास के निर्यात में कमी होगी। दलाल की मानें तो 2007-08 में कपास निर्यात 85 लाख बेल ही रहा था जो इस साल घटकर 50 लाख तक सिमट जाएगा।

भारत में कपास की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार से 5 से 7 सेंट प्रति पौंड ज्यादा रह रही है जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक पौंड कपास 62 से 65 सेंट में मिल रहा है।

अहमदाबाद के स्थानीय कपास कारोबारी का कहना है कि इस साल कपास निर्यात में तकरीबन 20 से 30 फीसदी की कमी होने का अनुमान है।

कारोबारियों के मुताबिक देश से कपास का निर्यात तभी व्यावहारिक हो पाएगा जब इसकी कीमतें 23,000 रुपये प्रति कैंडी से नीचे चली जाएगी। शाह ने बताया कि फिलहाल कपास के महंगे होने की कोई वजह नहीं है।

First Published : September 25, 2008 | 10:06 PM IST