केंद्र और राज्यों के राजस्व अधिकारियों वाली फिटमेंट समिति पान मसाला और मिश्रित तंबाकू उत्पादों जैसे टैक्स चोरी संभावित उत्पादों पर मुआवजा उपकर के लिए टैक्स ढांचे का मूल्यांकन करेगी। इसके साथ ही अलग-अलग कर दरों को तर्कसंगत बनाने पर विचार करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को इसकी जानकारी दी।
मंत्रिसमूह की रिपोर्ट के बाद फिटमेंट समिति इस पर विचार करने जा रही है। मंत्रिसमूह ने कर में उपकर घटकों में बदलाव का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत इन उत्पादों के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) के साथ जोड़ने का प्रस्ताव है।
वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने फरवरी की बैठक में ओडिशा के वित्त मंत्री निरंजन पुजारा की अगुआई वाले मंत्रिसमूह की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। वर्तमान में इन उत्पादों पर सर्वाधिक 28 फीसदी की दर से जीएसटी के साथ ही मुआवजा उपकर भी वसूला जाता है।
मौजूदा समय में कर में उपकर घटक उत्पादों के वास्तविक बिक्री मूल्य पर आधारित होता है। उदाहरण के लिए तंबाकू उत्पादों पर उपकर की दर 290 फीसदी है जबकि पान मसाला पर यह 135 फीसदी लगता है।
हालांकि रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि खुदरा बिक्री मूल्य के आधार पर टैक्स की दर तय करनी चाहिए, जिसमें सभी तरह की करों, मालवहन शुल्क, पैकेजिंग शुल्क आदि शामिल होता है। जबकि जीएसटी विक्रय मूल्य पर ही वसूला जाना चाहिए।
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘फिटमेंट समिति मंत्रियों की समिति के प्रस्तावित ढांचे का मूल्यांकन करेगी और अधिकतम खुदरा मूल्य के साथ उपकर जोड़े जाने की व्यवहार्यता पर विचार करेगी। इस कदम का मकसद इस क्षेत्र में कर चोरी के बढ़ते मामलों पर रोक लगाना है।’ उन्होंने कहा कि मूल्यांकन में समय लगेगा और परिषद की अगली बैठक तक इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है।
मंत्रिसमूह की रिपोर्ट में पान मसाला, हुक्का, चिलम, चबाने वाला तंबाकू आदि जैसे कम से कम 38 ऐसे उत्पादों पर उपकर ढांचे को खुदरा बिक्री मूल्य के साथ जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। बिक्री की मात्रा के आधार पर कर ढांचे से भी इसकी तुलना की जाएगी।
समिति के एक सदस्य ने कहा कि बिक्री की मात्रा के बजाए एक तय शुल्क लगाने से कर राजस्व में इजाफा होगा। इन उत्पादों को उपकर को खुदरा बिक्री मूल्य से जोड़कर ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाद के चरण में इन बदलावों को कर के मुआवजा उपकर घटक में लागू किया जा सकता है। पिछले चरण में मुआवजा उपकर का भुगतान किए जाने पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा नहीं होगी।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘तंबाकू तथा पान मसाला जैसे उत्पादों पर जीएसटी एवं उपकर ढांचे में बदलाव राजस्व बढ़ाने और जीएसटी चोरी को रोकने का लक्ष्य सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।’
उत्पाद शुल्क के दौर में वास्तविक उत्पादन और बिक्री के बजाए इन उत्पादों पर संयंत्र की अधिकतम उत्पादन क्षमता के आधार पर कर वसूला जाता था। जीएसटी के तहत वास्तविक बिक्री के आधार पर कर वसूला जाता है। हालांकि कुछ राज्यों ने इसे उत्पादन क्षमता के आधार पर कर लगाने की मांग की है क्योंकि इसमें कर चोरी की काफी आशंका रहती है।
हालांकि राज्यों की समिति ने क्षमता के आधार पर कराधान के विचार को खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि ऐसा करना जीएसटी की भावना के प्रतिकूल होगा।