खोजे गए छोटे क्षेत्र (डीएसएफ) के तहत तेल व गैस ब्लॉकों की तीसरे दौर की नीलामी आज शुरू कर दी गई। बोली के इस दौर में 32 कांट्रैक्ट एरिया शामिल हैं, जिनमें 75 खोजों की पेशकश की गई है। खोजे गए क्षेत्र 9 से ज्यादा अवसादी बेसिन में है, जिनका रकबा करीब 13,685 वर्ग किलोमीटर है और इनकी क्षमता करीब 232 टन की है।
तेल व गैस क्षेत्रों की खोजें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया (ओआईएल) द्वारा की गई थीं। लेकिन उन्होंने अव्यवहार्यता की वजह से सुस्ती दिखाई। ऐसा इनके छोटे आकार की वजह से या वित्तीय प्रतिबंधों की वजह से था, जिसके आधार पर इन्हें कंपनियों को इस क्षेत्र का आवंटन हुआ था।
तीसरे दौर में की गई पेशकश में 19 तटवर्ती, 54 उथले जल और 2 गहरे जल की खोजें शामिल हैं। अब तक डीएफएस के दौर में की गई पेशकश में यह सबसे बड़ी पेशकश है।
डीएफएस के पहले दौर में 46 कॉन्ट्रैक्ट एरिया की पेशकश की गई, जो 67 फील्ड में फैले थे। दूसरे दौर में 25 कॉन्ट्रैक्ट एरिया थे, जो 59 फील्ड में फैले थे। पहले दौर के बाद 30 कॉन्ट्रैक्ट एरिया का आवंटन किया गया, जबकि दूसरे दौर में 24 का आवंटन किया गया था।
तीसरे दौर की नीलामी की शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक पहले दौर के डीएसएफ में आवंटित ब्लॉकों से उत्पादन एक सप्ताह के भीतर होने जा रहा है। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि प्रधान गुजरात स्थित सीबी/ओएनडीएसएफ/ईएलएओ/2016 की बात कर रहे थे। कैंबे बेसिन के इस तटवर्ती गैस क्षेत्र को कोलकाता की पीएफएच रिसोर्सेज को आवंटित किया गया है।
प्रधान ने कहा, ‘पेट्रोलियम मंत्रालय और हाइड्रोकॉर्बन महानिदेशालय (डीजीएच) संपत्ति के जल्द मुद्रीकरण के नवोन्मेषी तरीके निकालेंगे, जिसमें डीएसएफ1 और 2 के तहत उत्पादन में तेजी लाना शामिल है। हमें तेज रफ्तार और मिशन के तौर पर काम करना होगा, जिससे हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का मुद्रीकरण कर सकें।’
उन्होंने कहा कि डीजीएच और पेट्रोलियम मंत्रालय का ध्यान सुस्त तेल व गैस संपत्तियों के मुद्रीकरण के विस्तार पर भी है, जो सरकारी और निजी क्षेत्र कंपनियों के पास हैं। इसके लिए नीतिगत दिशानिर्देश इस साल तैयार कर लिए जाएंगे।