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मखाने को तवज्जो मिलने से बिहार की राजनीति में आया नया जायका

मखाना बोर्ड के गठन और बिहार के लिए अन्य परियोजनाओं की घोषणाओं के साथ राजग इस राज्य की सत्ता अपने ही हाथ रखने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है

Last Updated- February 26, 2025 | 10:49 PM IST
Makhana

बिहार के दरभंगा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय शिवराज सिंह चौहान के राज्य के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के साथ पिछले सप्ताह रविवार को सफेद धोती-कुर्ता पहने एक खेत में घुटने भर पानी में नजर आए। चौहान मखाने की खेती का जायजा और इसमें किसानों को पेश आने वाली दिक्कतों की थाह ले रहे थे। चौहान ने वहां किसानों से भी बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि वह और उनके अधिकारी दिल्ली में कृषि भवन में बैठ कर किसानों के कल्याण की बात नहीं करेंगे बल्कि जमीन पर उतरकर पूरी संजीदगी से उनका साथ निभाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे से ठीक एक दिन पहले चौहान दरभंगा पहुंचे थे। मोदी ने अगले दिन सोमवार को भागलपुर में पीएम-किसान निधि की 19वीं किस्त जारी की और 10,000वें किसान उत्पादक संगठन का उद्घाटन किया। इसके साथ ही मोदी ने कई अन्य विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।

बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) राज्य में सत्ता में बने रहने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। कृषि मंत्री की दरभंगा यात्रा, भागलपुर में प्रधानमंत्री की जनसभा और केंद्रीय बजट में बिहार के लिए खास परियोजनाओं की घोषणाओं को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। बजट में राज्य में मखाना बोर्ड की स्थापना की भी घोषणा की गई है। इस साल जून में तीसरी बार केंद्र की सत्ता में लौटने के बाद राजग ने जिन परियोजनाओं का ऐलान किया है उनमें मखाना किसानों का कल्याण सर्वाधिक चर्चा में रहा है। पिछले साल नवंबर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र का दौरा कर मखाना किसानों को पेश आने वाली समस्याओं को समझने का प्रयास किया था। बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पूरी दुनिया में मखाने की एक खास पहचान बन गई है। मिश्रा ने कहा कि देश में मखाने के कुल उत्पादन का 90 प्रतिशत हिस्सा बिहार से आता है। मखाने में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, प्रोटीन और रेशे (फाइबर) जैसे पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जिस वजह से लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई है। मिश्रा ने कहा, ‘मखाना उत्पादन में बिहार के महत्त्वपूर्ण योगदान के बाद भी इस उत्पाद की बिहार के साथ पहचान नहीं जुड़ पाई है। दूसरे राज्य जिस तरह अपने कुछ खास उत्पादों का प्रचार-प्रसार करते हैं बिहार वह नहीं कर पा रहा है। मगर अब मखाना बोर्ड की स्थापना से निश्चित रूप से बाजार में इसकी स्वीकार्यता बढ़ेगी। भौगोलिक संकेत (जीआई) भी इसे मिल ही चुका है और अब मखाना बोर्ड के गठन के बाद इसके विपणन, प्रसंस्करण और किसानों की आजीविका में सुधार करने में बहुत मदद मिलेगी।’

रविवार को चौहान ने दरभंगा में मखाने की खेती में लगे किसानों को आश्वस्त किया कि जमीन मालिकों के साथ ही पट्टे पर इस उत्पाद की खेती करने वाले किसानों को भी केंद्रीय योजनाओं का बराबर लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मखाना उत्पादन में तकनीक के इस्तेमाल को भी बढ़ावा देने से पीछे नहीं हटेगी।

सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर (जदयू) ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि उनके क्षेत्र में मखाना उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होने का अनुमान है। ठाकुर ने कहा, ‘इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने का भी रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि, मखाना बोर्ड के गठन में थोड़ा समय लगेगा मगर यह तो निश्चित है कि बिहार में खाद्य प्रसंस्करण की भरपूर संभावनाएं हैं।’

बिहार बागवानी विकास समिति के आंकड़ों के अनुसार पिछले नौ वर्षों (वित्त वर्ष 2013 से वित्त वर्ष 2022 के दौरान) मखाने की खेती का रकबा 171 प्रतिशत बढ़कर 35,224 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। राज्य के दस जिलों दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया और किशनगंज में मुख्य रूप से मखाना पॉप का उत्पादन होता है। ये जिले संयुक्त रूप से 56,388.79 टन मखाना बीज और 23,656.10 मखाना पॉप का उत्पादन करते हैं।

दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर (भाजपा) कहते हैं, ‘वर्ष 2005 में संप्रग सरकार ने मखाने का राष्ट्रीय दर्जा वापस ले लिया था। मैंने इसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी और कृषि मंत्री से लगातार अनुरोध किया और अब 18 वर्षों के प्रयासों के बाद मखाने को अंततः राष्ट्रीय दर्जा मिल गया।’ दरभंगा में चौहान ने शोध केंद्र स्थापित करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रेय दिया।

राजनीतिक प्रभाव

मखाना बोर्ड की स्थापना के बाद मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों में भाजपा-जदयू गठबंधन की पकड़ और मजबूत हो सकती है। भाजपा-जदयू गठबंधन ने 2024 के लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनावों में मिथिलांचल में ज्यादातर सीटों पर कब्जा जमा लिया था। बिहार में 243 विधानसभा सीट में 72 (30 प्रतिशत) मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों में आती हैं। सरकार ने मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ‘एक जिला, एक उत्पाद योजना’ भी शुरू की है जिसमें मखाने की पहचान बिहार के प्रमुख उत्पाद के रूप में की गई है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) मखाना निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है जबकि राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को बीज, उर्वरक और सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) भी प्रसंस्करण इकाइयों एवं भंडारण सुविधाएं विकसित करने के लिए किसानों एवं उद्यमियों को वित्तीय सहायता दे रहा है। मखाना उत्पादन में लगे लाखों किसान अत्यंत पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं। वे इस बात की उम्मीद जरूर करेंगे कि मखाना बोर्ड सहित सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक जरूर पहुंचे।

First Published - February 26, 2025 | 10:45 PM IST

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