इस साल के बजट में नाागरिकों की उम्मीदें उनकी वास्तविक आर्थिक हकीकतों को दिखाती है। महामारी की 3 लहर के दौरान लोगों की आर्थिक हालत खराब हुई है।
हर साल की तरह नरेंद्र मोदी सरकार ने माईगवर्नमेंट वेबसाइट पर केंद्रीय बजट के पहले लोगों के सुझाव मांगे थे। सरकार ने आगामी बजट पर 26 दिसंबर को सुझाव मांगे थे, जिसे 7 जनवरी तक पेश किया जाना था।
12 दिन में 3,100 से ज्यादा सुझाव मिले थे। इनमें से ज्यादातर हजारों की संख्या में नौकरियों के सृजन, वेतनभोगी वर्ग पर कर का बोझ कम करने और छोटे उद्यमों को वित्तीय सहायता देने को लेकर थे। ये सुझाव खासकर रेस्टोरेंट और पर्यटन क्षेत्रों जैसे सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों के लिए थे।
माई गवर्नमेंट पर निधि अग्रवाल नाम के एक उपयोगकर्ता ने प्रतिक्रिया में लिखा है, ‘धारा 80 सी के तहत निवेश घटाने की सीमा उच्च आय वर्ग के लोगों के लिए बढ़ाई जानी चाहिए। देश में सबसे ज्यादा कर का बोझ वेतनभोगी वर्ग को उठाना पड़ता है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि वे किसी तरह के नुकसान का दावा नहीं कर सकते है, जैसा कि बिजनेस से आमदनी वाले करते हैं।’
एक व्यक्ति ने कहा, ‘कर की योजना के विकल्प वेतनभोगी वर्ग तक सीमित हैं। मानक कमी, गैर परंपरागत और अलग अलग निवेश के विकल्प को इस वर्ग के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।’
एक और ग्राहक आश्विन राज ने कहा, ‘आने वाले दशकों में हमें सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी को लेकर झेलनी पड़ सकती है, वह भी शिक्षित युवाओं की। इसका एकमात्र संभावित हल पर्यटन को प्रोत्साहन देना हो सकता है।’
तमाम प्रतिक्रियाओं में उन लोगों के लिए अनौपचारिक और औपचारिक क्षेत्रों में लाखों नौकरियों के सृजन की बात की गई है, जिनकी कोविड-19 की आर्थिक मंदी के कारण नौकरियां चली गईं।
सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के हाल के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में भारत की बेरोजगारी दर 4 महीने के उच्च स्तर 7.91 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो नवंबर और अक्टूबर 2021 में 7 और 7.75 प्रतिशत थी। दिसंबर महीने में शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 9.30 प्रतिशत जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.28 प्रतिशत हो गई है। दोनों में पहले महीने के क्रमश: 8.21 प्रतिशत और 6.44 प्रतिशत की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
बेरोजगारी में बढ़ोतरी की मुख्य वजह ओमीक्रोन के कारण ठहरी आर्थिक गतिविधियां और ग्राहकों की धारणा है।
इसके अलावा तमाम प्रतिक्रियाओं में जीएसटी दरें आगे और सरल करने, पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने और स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।
एक उपयोगकर्ता ने कहा है कि बजट में जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च स्वास्थ्य क्षेत्र पर आवंटित किया जाना चाहिए, जबकि वित्त मंत्री ने स्वास्थ्यव्यय जीडीपी के 2 प्रतिशत से भी कम रखा गया है।
