स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए ज्यादा धन के आवंटन की मांग को देखते हुए सरकार नए कोष का गठन कर सकती है, जिससे 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर व्यय बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। केंद्रीय बजट में यह प्रस्ताव आ सकता है कि इस लक्ष्य हासिल करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें दोनों ही धन मुहैया कराएंगी।
इस समय देश का स्वास्थ्य पर कुल खर्च जीडीपी का 1.4 प्रतिशत है, जो विश्व के उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की तुलना में बहुत कम है। इस मामले से जुड़े दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अगर इस कोष का सृजन होता है तो यह प्रधानमंत्री के अधीन होगा और इस क्षेत्र की कम अवधि और दीर्घावधि प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित होगा।
उनके मुताबिक नए कोष का प्राथमिक उद्देश्य 25 प्रतिशत धन प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर करने का होगा और शेष राशि बुनियादी ढांचे और शोध एवं विकास पर खर्च की जाएगी। यह कोष सरकार की मौजूदा स्वास्थ्य योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत के अतिरिक्त धन मुहैया कराएगा।
एक सूत्र ने कहा कि कोष का ढांचा और आवंटन आगामी 2021-22 के बजट का हिस्सा हो सकता है, जो 1 फरवरी को पेश किया जाना है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से तैयार किया गया प्रस्ताव हाल ही में वित्त मंत्रालय के पास विचार के लिए भेजा गया है।
अभी इसका विस्तृत ब्योरा नहीं है, लेकिन सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि व्यक्गित आमदनी और कॉर्पोरेट कर पर लगने वाले स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर का 4 प्रतिशत नए स्वास्थ्य कोष में जा सकता है। इसके अलावा कोष से व्यय पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा कि किस वित्त वर्ष में कितना खर्च किया जाना है क्योंकि यह सार्वजनिक कोष का हिस्सा होगा, जो दी गई अवधि में खर्च न करने पर भी खत्म नहीं किया जाता।
यह उपकर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय बजट 2018 में लगाया था। स्वास्थ्य पर व्यय बढ़ाने का मसला 2017 से ही चर्चा में है, जब राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) में सिफारिश की गई थी कि सरकार के कुल स्वास्थ्य व्यय का दो तिहाई हिस्सा प्राथमिक स्वास्थ्य पर खर्च किया जाना चाहिए। इसके साथ ही परिवारों द्वारा स्वास्थ्य पर किया जाने वाला भारी भरकम व्यय 2025 तक घटाकर मौजूदा स्तर से 25 प्रतिशत कम किया जाना चाहिए। बहरहाल कोविड-19 की वजह से यह एक बार फिर चर्चा में आ गया।
2020 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक पिछले 2 वित्त वर्ष से स्वास्थ्य पर खर्च कुल व्यय का 5.3 प्रतिशत है। 2017-18 में जहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पर कुल बजट आवंटन 53,113.5 करोड़ रुपये रहा है, 2020-21 में 67,111.8 करोड़ रुपये रहा। वहीं शोध पर बजट 2017-18 के 1,732 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 2,100 करोड़ रुपये हो गया। एनएचपी के 2017 के अनुमान के मुताबिक भारत के मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य पर व्यय का 52.1 प्रतिशत प्राथमिक स्वास्थ्य पर खर्च होता है। पॉलिसी में सिफारिश की गई है कि राज्य सरकारों को 2020 तक अपने कुल बजट का 8 प्रतिशत स्वास्थ्य क्षेत्र पर करना चाहिए।
