facebookmetapixel
दक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहींकेंद्रीय औषधि नियामक ने शुरू की डिजिटल निगरानी प्रणाली, कफ सिरप में DEGs की आपूर्ति पर कड़ी नजर

डिजिटल भुगतान प्रोत्साहनों में फिर कटौती

बजट में वित्त वर्ष 2026 में ऐसे लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 437 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है, जबकि इससे एक साल पहले इसके लिए 2,000 करोड़ रुपये दिए गए थे।

Last Updated- February 03, 2025 | 6:51 AM IST
Big relief to UPI Lite users, now they can transfer money directly from wallet to bank account UPI Lite यूजर्स को बड़ी राहत, अब वॉलट से सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर सकेंगे पैसा
Representative image

केंद्रीय बजट 2025-26 में छोटी रकम वाले यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) और रुपे डेबिट कार्ड के जरिये होने वाले लेनदेन को बढ़ावा देने वाले सरकारी वित्तीय प्रोत्साहन में 78 फीसदी की कटौती कर दी गई है। बजट में वित्त वर्ष 2026 में ऐसे लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 437 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है, जबकि इससे एक साल पहले इसके लिए 2,000 करोड़ रुपये दिए गए थे।

मगर इन पीयर-टु-मर्चेंट (पीटुएम) यूपीआई लेनदेन और रुपे डेबिट कार्ड भुगतान को बढ़ावा देने के लिए शुरुआती परिव्यय के मुकाबले आखिरी आवंटन अधिक है। सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में प्रोत्साहन के तौर पर पहले 1,441 करोड़ रुपये आवंटित किया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 2,000 करोड़ रुपये कर दिया गया। यह लगातार दूसरा साल है जब वित्त वर्ष 2023 में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए दी जा रही प्रोत्साहन में कटौती की गई है। सरकार ने अप्रैल 2022 में शुरू में 2,600 करोड़ रुपये देकर प्रोत्साहन की शुरुआत की थी।

पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर और पेमेंट ट्रांसफॉर्मेशन ऐंड फिनटेक प्रमुख मिहिर गांधी ने कहा, ‘इस प्रावधान के अंतिम परिव्यय में थोड़ी वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह अभी पीटुएम लेनदेन की लागत को कवर के लिए पर्याप्त रकम नहीं है। हमारा अनुमान है कि उद्योग को इन लागतों को कवर करने के लिए सब्सिडी के तौर पर कम से कम 4 से 5 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी क्योंकि यूपीआई भी अभी बढ़ रहा है।’

यूपीआई प्रोत्साहन सभी डेबिट यूपीआई लेनदेन पर शून्य व्यापारी छूट दर (एमडीआर) के साथ है। किसी लेनदेन को पूरा करने में भुगतान प्रसंस्करण कंपनियों अथवा बैंकों द्वारा व्यापारियों से लिए जाने वाले शुल्क को एमडीआर कहते हैं। बैंक और डिजिटल भुगतान प्रसंस्करण कंपनियां भारत की वास्तविक भुगतान प्रणाली पर लेनदेन के प्रसंस्करण की लागत वहन करती हैं। पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन विश्वास पटेल ने कहा, ‘हम पिछले साल अप्रैल से अब तक के लिए प्रोत्साहन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। शून्य व्यापारी छूट दर के अभाव में इस वित्त वर्ष के लंबित भुगतान का परिवेश के खिलाड़ी, बैंक इंतजार कर रहे हैं।’

गांधी ने कहा, ‘कंपनियां अब क्रॉस सेलिंग के जरिये अन्य उत्पादों से भी राजस्व अर्जित कर रही हैं। केंद्र ने इस साल विशिष्ट यूपीआई लेनदेन के लिए कुछ स्लैब-आधारित एमडीआर की अनुमति देने के बारे में भी सोचा होगा और जब इस वर्ष प्रोत्साहन की बात आती है तो इन दो विचारों की भी संभावना है।’ पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों, टीपीएपी और नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) सहित हितधारकों को यूपीआई पीटुएम लेनदेन को संसाधित करने के लिए लेनदेन मूल्य का लगभग 0.25 फीसदी खर्च करना पड़ता है। अकेले साल 2024 में यूपीआई के जरिये 172 अरब से अधिक लेनदेन किए गए हैं।

 

First Published - February 3, 2025 | 6:51 AM IST

संबंधित पोस्ट