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Budget Glossary: आसान शब्दों में समझें बजट से जुड़े फाइनेंशियल टर्म्स, 1 फरवरी को आएगा देश का बजट

Budget 2025: बजट का मतलब समझना कई लोगों के लिए मुश्किल होता है। ‘बजट’ शब्द लैटिन के बोजते (bougette) से बना है, जिसका मतलब है चमड़े का थैला।

Last Updated- January 30, 2025 | 3:05 PM IST
Budget 2025
प्रतीकात्मक तस्वीर

Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार, 1 फरवरी को अपना लगातार आठवां केंद्रीय बजट पेश करेंगी। यह बजट भारत सरकार के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज होता है। इसमें अगले वित्तीय वर्ष के लिए देश की अनुमानित आय और खर्चों की पूरी जानकारी दी जाती है।

बजट देश की अर्थव्यवस्था को दिशा देने में अहम भूमिका निभाता है। यह अलग-अलग सेक्टर्स को प्रभावित करता है और ऐसी नीतियां तय करता है जो नागरिकों, बिजनेस और इंडस्ट्रीज पर सीधा असर डालती हैं।

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क्या है बजट? जानें आसान भाषा में

बजट का मतलब समझना कई लोगों के लिए मुश्किल होता है। ‘बजट’ शब्द लैटिन के बोजते (bougette) से बना है, जिसका मतलब है चमड़े का थैला। पुराने समय में पश्चिमी देशों में व्यापारी पैसे रखने के लिए चमड़े के थैले का इस्तेमाल करते थे। धीरे-धीरे ये परंपरा सरकारी कामों में भी आ गई, जहां सरकारी आय-व्यय का रिकॉर्ड इसी थैले में रखा जाता था।

बजट पेश करने की शुरुआत ब्रिटेन से हुई थी। वहां के वित्त मंत्री जब संसद में देश का आय-व्यय का हिसाब पेश करने आते थे, तो दस्तावेज एक लाल चमड़े के बैग में लाए जाते थे। इस बैग को फ्रेंच में ‘बजेटी’ कहा जाता था, जिसे अंग्रेजी में ‘बजट’ कहा जाने लगा। यहीं से इस शब्द का इस्तेमाल दुनियाभर में होने लगा।

Budget Glossary: बजट से जुड़े अहम शब्द और उनकी आसान व्याख्या

बजट के दौरान कई ऐसे शब्द इस्तेमाल होते हैं जिनका सही मतलब समझना जरूरी है। आम लोगों के लिए यह जानना अहम है कि सरकार किन टर्म्स का जिक्र करती है और उनका असर देश की आर्थिक स्थिति पर कैसे पड़ता है। यहां कुछ मुख्य शब्दों की आसान व्याख्या दी गई है:

Union Budget का मतलब

Union Budget भारतीय संविधान के आर्टिकल 112 के तहत हर साल सरकार की अनुमानित आय और खर्च का पूरा हिसाब होता है, जिसे वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) कहा जाता है।

बजट एक ऐसी योजना है, जो किसी तय समय के लिए बनाई जाती है। देश को अपनी आय और खर्चों को ठीक से संभालने के लिए बजट की जरूरत होती है।

Union Budget में सरकार यह बताती है कि किस प्रोजेक्ट और विभाग में कितना पैसा खर्च किया जाएगा। चूंकि सरकार की सबसे बड़ी आय टैक्स से होती है, इसलिए बजट में टैक्स रेट और नियमों में बदलाव की जानकारी दी जाती है। बजट से यह भी पता चलता है कि सरकार किन क्षेत्रों में ज्यादा पैसा लगाएगी, जिससे उन सेक्टर्स को आगे फायदा मिल सकता है।

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बजट आकलन (Budget Estimate)

जब वित्तमंत्री संसद में बजट पेश करते हैं, तो उसमें सरकार की विभिन्न योजनाओं पर होने वाले खर्चों और टैक्स के माध्यम से होने वाली संभावित आमदनी का पूरा विवरण होता है। इसमें बताया जाता है कि सरकार आने वाले साल में किन योजनाओं पर कितना खर्च करेगी और कहां से पैसा आएगा।

वित्त विधेयक (Finance Bill)

बजट पेश करते समय वित्तमंत्री नए टैक्स लगाने या पुराने टैक्स में बदलाव का प्रस्ताव वित्त विधेयक के माध्यम से रखते हैं। इसमें ये भी बताया जाता है कि सरकार कैसे अपनी आमदनी बढ़ाएगी। इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही लागू किया जाता है।

वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit)

जब सरकार की खर्च की गई राशि उसकी कुल आमदनी से ज्यादा हो जाती है, तो उसे वित्तीय घाटा कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि सरकार को खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ता है।

प्राथमिक घाटा (Primary Deficit)

यह वित्तीय घाटे का ही हिस्सा होता है। इसमें कुल घाटे में से ब्याज के भुगतान को घटाने के बाद जो बचा हुआ अंतर होता है, उसे प्राथमिक घाटा कहा जाता है।

राजस्व सरप्लस (Revenue Surplus)

अगर सरकार की राजस्व आमदनी (Revenue Income) उसके राजस्व खर्च (Revenue Expenditure) से ज्यादा होती है, तो इसे राजस्व सरप्लस कहा जाता है। इसका मतलब है कि सरकार के पास नियमित खर्चों के बाद भी अतिरिक्त पैसा बच रहा है।

विनियोग विधेयक (Appropriation Bill)

जब बजट पेश किया जाता है, तो सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए संसद से संचित निधि (Consolidated Fund) से पैसा लेने की अनुमति लेनी होती है। इसी के लिए विनियोग विधेयक पेश किया जाता है।

पूंजी बजट (Capital Budget)

यह बजट का वह हिस्सा होता है जिसमें सरकार के बड़े प्रोजेक्ट्स, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, और लंबी अवधि की योजनाओं के लिए पैसा जुटाने और खर्च करने की जानकारी दी जाती है। इसमें सरकारी कर्ज (Government Loans), ट्रेजरी बिल्स (Treasury Bills) की बिक्री और कर्ज की वसूली की आमदनी का विवरण होता है।

संशोधित आकलन (Revised Estimate)

जब वित्त वर्ष के बीच में यह देखा जाता है कि अनुमानित खर्च और असल खर्च में कितना अंतर है, तो उसे संशोधित आकलन कहा जाता है। इसमें असल खर्च के हिसाब से आगे की प्लानिंग की जाती है।

सब्सिडी (Subsidy)

सरकार लोगों को आर्थिक सहायता देने के लिए सब्सिडी देती है ताकि वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। जैसे रसोई गैस पर सब्सिडी दी जाती है ताकि लोग इसे सस्ते दामों पर खरीद सकें और स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल बढ़े।

पूंजीगत सामान (Capital Goods)

वे सामान या मशीनें जिनका इस्तेमाल किसी प्रोडक्ट के निर्माण में किया जाता है, पूंजीगत सामान कहलाती हैं। उदाहरण के तौर पर फैक्ट्री में इस्तेमाल होने वाली मशीनें।

पूंजी भुगतान (Capital Expenditure)

सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, मशीनरी खरीदने या प्रॉपर्टी में निवेश करने पर किया जाने वाला खर्च पूंजी भुगतान कहलाता है।

चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit)

जब किसी देश में आयात (Imports) ज्यादा और निर्यात (Exports) कम होता है, तो विदेशी मुद्रा का घाटा हो जाता है। इसे चालू खाते का घाटा कहा जाता है।

सीमा शुल्क (Customs Duty)

जब कोई वस्तु देश में आयात या निर्यात होती है, तो उस पर एक शुल्क लगाया जाता है जिसे सीमा शुल्क कहते हैं। यह सरकार के लिए आमदनी का एक बड़ा जरिया है।

काउंटरवेलिंग ड्यूटी (Countervailing Duty)

यह ड्यूटी उन वस्तुओं पर लगाई जाती है जो विदेशों से आयात की जाती हैं। इसका मकसद घरेलू इंडस्ट्री को सस्ते आयात की वजह से होने वाले नुकसान से बचाना है।

संचित निधि (Consolidated Fund)

यह सरकार की मुख्य निधि होती है जिसमें सभी तरह की आमदनी जैसे टैक्स, लोन और ब्याज की वापसी जमा होती है।

आपात कोष (Contingency Fund)

इस फंड का इस्तेमाल आपात स्थितियों में किया जाता है। इसमें से धन खर्च करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति जरूरी होती है।

प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)

यह वह टैक्स है जो सीधे लोगों और कंपनियों से वसूला जाता है, जैसे इनकम टैक्स या कॉरपोरेट टैक्स।

कॉरपोरेट टैक्स (Corporate tax)

कॉरपोरेट टैक्स एक डायरेक्ट टैक्स है, जो किसी कंपनी या कॉरपोरेट के मुनाफे पर लगाया जाता है। इसके लिए कंपनियां अपने खर्चों को घटाने के बाद ऑपरेटिंग कमाई का अनुमान लगाती हैं। इन खर्चों में COGS (कच्चे माल और उत्पाद की लागत), रेवेन्यू डिप्रिशिएशन जैसे खर्च शामिल होते हैं। इसके बाद कंपनी सरकार को निर्धारित टैक्स दरों के अनुसार टैक्स का भुगतान करती है।

अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)

यह वह टैक्स है जो वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है, जैसे GST और सीमा शुल्क।

सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP)

GDP का मतलब है देश में एक साल के अंदर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं की कुल कीमत।

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product – GNP)

यह GDP में विदेशी स्रोतों से मिली आय को जोड़ने और देश में विदेशी कंपनियों द्वारा कमाई गई आय को घटाने के बाद निकाली गई राशि होती है।

वैट (VAT – Value Added Tax)

यह टैक्स किसी वस्तु के निर्माण और उसकी बिक्री के हर चरण पर लगाया जाता है।

योजना खर्च (Planned Expenditure)

सरकार द्वारा अपनी योजनाओं और विकास कार्यों पर किया जाने वाला खर्च योजना खर्च कहलाता है।

गैर योजना खर्च (Non-Planned Expenditure)

इसमें ब्याज की अदायगी, रक्षा खर्च, सब्सिडी और पेंशन जैसे जरूरी खर्च शामिल होते हैं।

मौद्रिक नीति (Monetary Policy)

देश की अर्थव्यवस्था में पैसे का बहाव (flow of money) सीधा उसके विकास पर असर डालता है। इसलिए सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्रोथ सही हो, इकोनॉमी में लिक्विडिटी पर नजर रखती है। भारत में यह काम देश का सेंट्रल बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) करता है।

मौद्रिक नीति का मतलब है कि RBI कैसे पैसे की आपूर्ति (liquidity) को कंट्रोल करता है ताकि देश में सतत विकास (sustainable growth) हो सके।

महंगाई (Inflation)

महंगाई उस स्थिति को कहते हैं जब बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ने लगती हैं और पैसे की खरीदने की क्षमता घट जाती है। इसका मतलब है कि एक ही पैसे में पहले जितना सामान मिलता था, अब उतना नहीं मिल पाता। उदाहरण के तौर पर, अगर महंगाई दर 6% प्रति वर्ष है, तो जो चीज पिछले साल ₹100 की थी, वह अब ₹106 की हो जाएगी।

वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account)

वोट ऑन अकाउंट एक प्रक्रिया है जिसके तहत मौजूदा सरकार संसद से मंजूरी लेकर कुछ समय के लिए जरूरी खर्चों के लिए पैसे खर्च करने की अनुमति लेती है। इसमें सरकार को नए बजट के पास होने से पहले, साल के कुछ महीनों तक जरूरी योजनाओं और खर्चों को चलाने के लिए फंड मिलता है।

First Published - January 30, 2025 | 2:30 PM IST

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