वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को इनपुट लागत कम करने, वैल्यू एडिशन में इजाफा करने, शुल्क ढांचा ठीक करने, देसी विनिर्माण को मजबूती देने और निर्यात बढ़ाने के लिए दवा, चमड़ा, मोटरसाइकल, कुछ निश्चित अहम खनिजों समेत 40 आइटम पर आधारभूत सीमा शुल्क में कटौती कर दी। हालांकि कार, स्टेनलेस स्टील, साइकल, सोलर सेल समेत 37 आइटम पर सीमा शुल्क घटाया गया है। साथ ही कृषि बुनियादी ढांचा और विकास उपकर (एआईडीसी) में इजाफा किया गया है। लेकिन इससे प्रभावी दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दो अन्य आइटम बुने हुए फैब्रिक्स और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के मामले में शुल्क में इजाफा किया गया है।
वित्त मंत्री ने आम बजट की घोषणा करते हुए कहा कि सीमा शुल्क को लेकर हमारा प्रस्ताव शुल्क ढांचे को सही करने और ड्यूटी इनवर्जन को सुधारने के लिए है। यह देसी विनिर्माण और मूल्य संवर्धन को सहारा देगा, निर्यात प्रोत्साहित करेगा। साथ ही यह कारोबार को सुविधा देने और आम लोगों को राहत देने के लिए है।
सीमा शुल्क की दरों के ढांचे की विस्तृत समीक्षा के बाद सरकार ने शुल्क की सात दरों को हटाने का फैसला लिया। अब सिर्फ आठ टैरिफ दरें रह गई, जिनमें शून्य शुल्क भी शामिल है। सरकार ने एक से ज्यादा सरचार्ज या उपकर नहीं लगाने और 82 टैरिफ लाइन्स से समाज कल्याण सरचार्ज की छूट देने का फैसला लिया है। पिछले बजट में सीतारमण ने ऐलान किया था कि वित्त मंत्रालय दरों के ढांचे को उपयुक्त बनाने और इनके सरलीकरण की विस्तृत समीक्षा करेगा ताकि कारोबार सुगम हो, ड्यूटी इनवर्जन खत्म हो और विवादों में कमी आए।
एक पूर्व वाणिज्य अधिकारी और दिल्ली के थिंक टैंक जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने एक रिपोर्ट में कहा कि आम बजट 2025 में शुल्क दरें कई उत्पादों के लिए अपरिवर्तित बनी हुई हैं। लेकिन शुल्क ढांचे को दोबारा संतुलित किया गया है – आधारभूत सीमा शुल्क कम किया गया और एआईडीसी में इजाफा किया गया है। इस बदलाव से केंद्र सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा। आधारभूत सीमा शुल्क को राज्यों के साथ साझा किया जाता है, एआईडीसी नहीं।
सीतारमण ने कहा कि डिजिटल अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर भारतट्रेडनेट का गठन यूनिफाइड प्लेटफॉर्म के तौर पर किया जाएगा, जो कारोबार के दस्तावेजीकरण और वित्तीय समाधान के लिए होगा। यह यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूएलआईपी) का पूरक होगा।
इसके अलावा सरकार मेक इन इंडिया पहल को और आगे बढ़ाने के लिए नैशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन गठित करेगी, जिसमें छोटे, मझोले और बड़े उद्योग शामिल होंगे। इसे नीतिगत सहायता, क्रियान्वयन के लिए रोडमैप, केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों, गवर्नेंस और निगरानी के जरिये अंजाम दिया जाएगा।