देश के करीब 88 प्रतिशत वाहन कलपुर्जा आपूर्तिकर्ताओं को अनुसंधान और विकास (आरऐंडडी) क्षमता के मामले में गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। पुराने मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के यहां इलेक्ट्रिक वाहन कार्यक्रमों में 24 महीने तक की देर हो रही है। वेक्टर कंसल्टिंग ग्रुप के नए अध्ययन से यह जानकारी मिली है।
ग्राहकों की प्रतीक्षा का लंबा और अनिश्चित समय, खराब आफ्टर सेल सर्विस और वाहनों को बार-बार वापस मंगाना ऐसी प्रमुख चिंताएं हैं जिनका सामना ईवी उद्योग को इस समय करना पड़ रहा है। इस कारण देर हो रही है। यह अध्ययन मूल उपकरण विनिर्माताओं और बड़े आपूर्तिकर्ताओं के 100 से अधिक मुख्य अनुभव अधिकारियों के साथ बातचीत पर आधारित है। अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती दृष्टिकोण या प्रौद्योगिकी की कमी नहीं है, बल्कि मूल्य श्रृंखला में व्यापक स्तर पर कार्यान्वयन की बाधा है।
वाहन विनिर्माता, आपूर्तिकर्ता और ईवी क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनियां यह देख रहीं हैं कि नए मॉडलों के विकास, आपूर्तिकर्ता से जुड़ाव और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के पारंपरिक मॉडल अब उनके उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं हैं। वेक्टर कंसल्टिंग ग्रुप के प्रबंध साझेदार रवींद्र पातकी ने कहा, ‘यह अवरोध आंतरिक है – खराब समन्वय, बेमेल क्षमता और कार्यान्वयन में कमियां।’ उन्होंने कहा, ‘इस नए दौर में उद्योग को आगे बढ़ने के लिए फिर से सोचना होगा कि यह कैसे काम करता है।’
कई मूल उपकरण विनिर्माता आंतरिक क्षमता को दोबारा व्यवस्थित या विस्तारित किए बिना ही ईवी और गैस-तेल वाले वाहनों के कार्यक्रमों को समानांतर रूप से प्रबंधित करने का प्रयास कर रहे हैं। इंजीनियरिंग, खरीद और सत्यापन टीमें कार्यक्रमों में साझा रहती हैं, जिससे काम को दोबारा करना पड़ता है, बाधाएं आती हैं और देरी निरंतर बनी रहती है। जहां ईवी की समर्पित टीमें हैं, वहां भी वे अक्सर पुरानी आंतरिक प्रणालियों पर निर्भर रहती हैं, जिससे उनकी आगे बढ़ने की क्षमता कम हो जाती है।
बड़े आपूर्तिकर्ताओं को भी इसी तरह के दबाव का सामना करना पड़ता है। उनसे एक साथ कई ओईएम में बहुत-से जटिल कार्यक्रमों के समर्थन की उम्मीद की जाती है। अक्सर वॉल्यूम के पूर्वानुमानों या वाहनों की समयसीमा में सीमित दृश्यता के साथ ऐसा होता है। नतीजतन आपूर्तिकर्ताओं को डिजाइन में बाद के चरण में बदलाव से निपटने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे जोखिम, लागत और पहले से ही दबावग्रस्त इंजीनियरिंग बैंडविड्थ की चिंता बढ़ जाती है।