भारत में पहले भी ब्लूस्मार्ट जैसे कई वाकए देखे गए हैं। ये ऐसे शानदार ब्रांड या उत्पाद थे जो बिल्कुल नए सिरे से बनाए गए लेकिन कुप्रबंधन या लालच की वजह से बर्बाद हो गए। जेट एयरवेज ऐसा ही मामला है। हालांकि विमानन कंपनी ईंधन की ज्यादा लागत, बढ़ते कर्ज और किफायती विमानन कंपनियों की कड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझ रही थी। लेकिन इसके पतन में संस्थापक नरेश गोयल की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और बेशक सत्यम घोटाले को कौन भूल सकता है?
रीडिफ्यूजन के चेयरमैन संदीप गोयल ने कहा, ‘इन ब्रांडों का अभी भी महत्त्व बचा हुआ है। लेकिन इस तरह के ब्रांडों की वापसी मुश्किल होती है। ब्रांड कभी भी मुक्त नहीं होता है। प्रवर्तकों द्वारा अच्छा ब्रांड और कारोबार बनाने के बावजूद, ब्रांड निश्चित रूप से दोषी के साथ ही डूब जाता है।’ केवल दो ब्रांड ऐसे हैं जो अपने संस्थापकों के लड़खड़ाने के बावजूद भी बचे रहने में कामयाब रहे – किंगफिशर और इंडियन प्रीमियर लीग। गोयल ने कहा कि विजय माल्या का और आईपीएल का ब्रांड इसलिए बच गए क्योंकि संचालन पर ध्यान देने वाला कोई मौजूद था। उन्होंने कहा, ‘आईपीएल के मामले में वह इसलिए बच गया क्योंकि वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का था।’
एक अन्य दमदार ब्रांड ब्लूस्मार्ट को एक्स और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भरपूर समर्थन मिला है। भले ही कई ग्राहक अपने ब्लूस्मार्ट वॉलेट से पैसे निकालने के लिए जूझ रहे हों, लेकिन एक भी पोस्ट, टिप्पणी या साझा किए गए अनुभव ब्रांड और उसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा की गुणवत्ता की प्रशंसा करने से नहीं चूकते।
ब्लूस्मार्ट की ग्राहक राधिका रॉय ने एक्स पर कहा, ‘मुझे उबर के इस्तेमाल से नफरत थी – कैंसल्ड राइड, बदतमीज ड्राइवर, बदबू मारती कारें। ब्लूस्मार्ट सटीक समाधान था। थोड़ा महंगा, लेकिन पैसे वसूल। इसका खत्म होना इस बात का संकेत है कि इतने अच्छे विचारों का भारत में जीवित रहना मुश्किल होता है – या तो लालच की वजह से या फिर भ्रष्टाचार की वजह से। दुर्भाग्यपूर्ण।’
एक्स पर एक अन्य उपयोगकर्ता ने पोस्ट डाली, ‘हाल के वर्षों में जो प्रभावशाली ब्रांड बन गया था, उसमें अचानक और अपमानजनक रुकावट आई है – शानदार + विश्वसनीय सेवा, खुश कर्मचारी, महिला ड्राइवर, ईवी राइड, साफ-सुथरी कैब (ये सभी मानक के अपवाद हैं)। आज नुकसान का अहसास इतना है कि उसे महसूस न कर पाना मुश्किल है।’
इस तरह की टिप्पणियां सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं, जो बताती हैं कि किस तरह ब्लूस्मार्ट शहरी आवागमन में विश्वसनीयता और उत्कृष्टता का प्रतिनिधित्व करने लगी थी। अब तक भारतीय स्टार्टअप के पारिस्थितिकी तंत्र में हर कीमत पर विकास की होड़ के कारण कई कारोबार विफल हो गए हैं, लेकिन ऐसे कारोबार की संख्या कम है जिन्होंने ऐसी सेवा निर्मित की है, जो ब्लूस्मार्ट द्वारा अपने संचालन के सात वर्षों में किए गए काम के करीब भी हो।