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महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के नाम एक और उपलब्धि, अब कंपनी की कार में डॉल्बी एटमस म्युजिक, ए आर रहमान ने बनाई धुन

कहा जा रहा है कि रहमान ने एक धुन बनाई है जिसमें अंदरूनी एवं बाहरी ड्राइव ​साउंड, इन्फोटेनमेंट क्यूज, फंक्शनल सिग्नल सहित 75  आवाज शामिल हैं।

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शाइन जेकब   
Last Updated- March 09, 2025 | 11:05 PM IST

महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमऐंडएम) ने फरवरी में पहली बार खुदरा यात्री खंड में दूसरे स्थान पर अपनी जगह बनाकर एक अहम उपलब्धि हासिल की थी। नए मॉडल बाजार में उतारने की बदौलत कंपनी यह मुकाम हासिल करने में सफल रही। इस उपलब्धि की चर्चा तो चारों तरफ हो ही रही है मगर इस बीच चेन्नई से करीब 60 किलोमीटर दूर चेंगलपट्टु में 125 एकड़ में फैली महिंद्रा रिसर्च वैली (एमआरवी) में एक और कारनामे को अंजाम देने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। यहां विशेषज्ञों का एक समूह कंपनी के भविष्य की एक अहम योजना को धार देने में जुटा है। ये विशेषज्ञ इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड वाहन, ऑटोमोटिव ड्राइविंग, कनेक्टेड व्हीकल टेक्नोलजी और पर्यावरण के अनुकूल मानकों  को दम-खम देने में जुटे हुए हैं। एक और दिलचस्प बात यह है कि वे संगीत क्षेत्र के दिग्गज ए आर रहमान की भी मदद ले रहे हैं जिसका मकसद लाजवाब आवाज के अनुभव के साथ उम्दा तकनीक मुहैया कराना है।

कहा जा रहा है कि रहमान ने एक धुन बनाई है जिसमें अंदरूनी एवं बाहरी ड्राइव ​साउंड, इन्फोटेनमेंट क्यूज, फंक्शनल सिग्नल सहित 75  आवाज शामिल हैं। बीई 6 और एक्सईवी 9ई के लिए इसमें कई और खूबियां भी हैं। महिंद्रा ऐसी पहली भारतीय कंपनी भी बन गई है जिसने अपने वाहनों में डॉल्बी एटमस तकनीक का इस्तेमाल कर कारों में मनोरंजन का एक नया मानक स्थापित किया है।

यह एक दुर्लभ मौका था जब संगीत उद्योग के किसी महारथी ने वाहन क्षेत्र की किसी कंपनी के साथ काम किया है। इससे पहले बीएमडब्ल्यू ने ग्रैमी एवं अकादमी पुरस्कार विजेता हैंस जिमर, मर्सिडीज-बेंज ने रॉक बैंड लिंकन पार्क के साथ साझेदारी की थी। जगुआर और रेनो भी ऐसे प्रयोग करने वाली कंपनियों में शामिल रही हैं।

एमऐंडएम लिमिटेड में अध्यक्ष (ऑटोमोटिव टेक्नॉलजी एवं प्रोडक्ट डेवलपमेंट) वेलुसामी आर कहते हैं, ‘बीई6 और एक्सईवी 9ई में केवल 12 स्पीकर थे। मगर रहमान ने हमें 16 स्पीकर देने (हर्मन कार्डन ऑडियो) की सलाह दी। हम अन्य आवाज के साथ सभी घंटी एवं अलर्ट के लिए वास्तविक धुन चाह रहे थे। रहमान के पास डॉल्बी लैब है। उन्होंने हमें वहां आवाजें सुनाई और कार में यही माहौल देने के लिए कहा।’वेलुसामी एमऐंडएम ईवी की दिल को झुमा देने वाले इन-केबिन अनुभव को लेकर खासे उत्साहित हैं।’

हालांकि, वेलुसामी से जब कंपनी की स्वचालित या चालक रहित कार तैयार करने योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। उन्होंने कहा, ‘स्वचालित कार तकनीक और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक ही नहीं है बल्कि नए मानक स्थापित करने वाली हैं। कभी-कभी स्वचालित कारें चालक के मुकाबले अधिक सफाई से चल सकती हैं। मेरा इस बात में पूरी विश्वास है कि भारत में स्वचालन का दौर जरूर आएगा।‘उनका मानना है कि सॉफ्टवेयर पर निर्भर वाहन पूरी रफ्तार से आ रहे हैं और दुनिया में शोध एवं तकनीक खंड में आराम, सुविधा, सुरक्षा एवं अन्य पहलुओं और एआई इनके प्रभाव तेजी से सामने आ  रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि एमऐंडएम का यह केंद्र एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम, एडवांस ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स, हल्की तकनीक, बेहतर व्हीकल डायनामिक्स, कनेक्टेड व्हीकल टेक्नॉलजीज और स्मार्ट कनेक्टेड इम्लीमेंट्स सहित अन्य तकनीक पर भी काम कर रही है।

इलेक्ट्रिक वाहन एवं भविष्य

कंपनी की रिसर्च वैली की नजर इलेक्ट्रिक वाहन एवं हाइब्रिड तकनीक के विकास पर भी है। अद्यतन कॉर्पोरेट एवरेजड फ्यूल एफिशिएंसी (केफ) मानकों से ईवी के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि वे वाहन कंपनियों को ऐसे अधिक वाहनों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। केंद्र एवं राज्य भी ईवी को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी एवं कर समर्थन जैसे उपाय जारी रखेंगे। वेलुसामी ने कहा, ‘हमें केफ के आधार पर जितने वाहनों के उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना था वह हमने पूरा कर लिया है। वर्ष 2027 तक केफ-3 नियम अपनाने का प्रस्ताव दिया गया है। मुझे पूरा भरोसा है कि कार्बन डाईऑक्साइड गैस के उत्सर्जन में कम से कम 15 प्रतिशत की कमी तो जरूर आएगी। इससे स्वयं ही बाजार हिस्सेदारी बढ़ जाएगी।’ हालांकि, उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि रफ्तार इसी तरह कायम रखने के लिए ईवी, ईवी बैटरी और चार्जिंग ढांचे पर 5 प्रतिशत जीएसटी ही लगता रहे तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा, ‘कुछ राज्यों ने पथ कर लगाना शुरू कर दिया है। यह कदम ईवी के विकास में रोड़ा साबित हो सकता है। हम सभी कारोबारी मामलों में पथ कर से दूर रहने का सुझाव देते हैं।’

लीथियम की उपलब्धता एवं कीमत के बारे में पूछे जाने पर वेलुसामी ने कहा कि वाहन उद्योग को पहले तो ईवी वाहनों का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘वाहन बाजार का लगभग 97 प्रतिशत हिस्सा आईसीई है और केवल 3 प्रतिशत ही इलेक्ट्रिक है। जब तक यह हिस्सेदारी बढ़कर 30 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती तब तक किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है।’

First Published : March 9, 2025 | 11:05 PM IST