वाहन कलपुर्जा उद्योग पर दो स्तरीय जटिल शुल्क 25 प्रतिशत और 50 प्रतिशत लगाए जाने के बाद इन कंपनियों में चर्चा का विषय बुधवार को ईयू जैसे नए बाजारों और भविष्य के लिए तैयार उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करना रहा। डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के शुल्क थोपने से भारतीय उद्योग के लिए अमेरिका का 6.6 अरब डॉलर का निर्यात बाजार खत्म होने की आशंका है। यह कदम भारत के घरेलू उद्योग के लिए बड़ा झटका है। दरअसल वित्त वर्ष 25 में वाहन कलपुर्जा उद्योग के निर्यात में अमेरिकी को हिस्सेदारी 27 प्रतिशत 22.9 अरब डॉलर थी।
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काइनेटिक इंजीनियरिंग के उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक अजिंक्य फिरोदिया ने स्वीकारा कि यह अल्पावधि की चुनौती है लेकिन उन्होंने विविधीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें अमेरिका के उच्च शुल्क के प्रभाव से निपटने के लिए वैकल्पिक बाजारों पर नजर रखनी होगी। यह प्राथमिक तौर पर यूरोप है। यूरोप की जरूरतों भी समान है और निर्यात का प्रबंधन किया जा सकता है। इसी के साथ हम घरेलू बाजार को मजबूत करने पर और भविष्य के लिए तैयार उत्पाद जैसे ईवी के उपकरणों पर के विविधीकरण पर ध्यान दे रहे हैं।’
उद्योग के अनुमान के अनुसार भारत वाहन कलपुर्जा उद्योग अमेरिका को 3.58 अरब मूल्य का निर्यात करता है जो उसका करीब 55 प्रतिशत है और 25 प्रतिशत शुल्क का सामना करेगा। हालांकि शेष 45 प्रतिशत 3.08 अरब डॉलर है और इस पर 50 प्रतिशत उच्च शुल्क लगेगा। फिरोदिया ने कहा कि तत्कालीन चुनौती चीन और कोरिया से प्रतिस्पर्धा है और इनका कम लागत के कारण बाजार पर दबदबा है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के अपना विनिर्माण पारिस्थितिकीतंत्र बनाने के लिए समय लेने के बावजूद हमें अनिवार्य रूप से लागत के प्रतिस्पर्धी रहना है। उन्होंने कहा, ‘हम अमेरिकी ग्राहकों से करीब रूप से जुड़ रहे हैं ताकि उन्हें लागत में कटौती और मूल्य इंजीनियरिंग उपायों का आश्वासन दिया जा सके। यह कटौती चाहे शुल्क के प्रभाव को कम करने के लिए बेहतर पैकेजिंग, लॉजिस्टिक्स लागत कम करना या तकनीकी दक्षता हो। हम दीर्घावधि में अपने ग्राहकों के साथ निरंतर साझेदारी सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका में परिचालन स्थापित करने का भी मूल्यांकन करेंगे।’ न्यूरॉन एनर्जी के सह-संस्थापक व सीईओ प्रतीक कामदार ने कहा कि शुल्क झटका वैश्विक ईवी आपूर्ति श्रृंखला पर असर डाल सकता है।