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CAFE 3 उत्सर्जन मानकों में 909 किलोग्राम से कम वजन वाली पेट्रोल कारों के लिए विशेष राहत देने का प्रस्ताव “एक ही कार निर्माता को अनुचित फायदा” देगा। इससे बाजार प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी और समान अवसर का सिद्धांत टूटेगा। JSW MG Motor ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को भेजे गए पत्र में यह बात कही है।
कंपनी ने अपने 21 नवंबर को भेजे गए पत्र में लिखा, “भारत का लक्ष्य 2032 तक हाईवे पर औसत गति 47 किमी/घंटा से बढ़ाकर 85 किमी/घंटा करने का है। ऐसे में मजबूत बॉडी वाली कारें जरूरी हैं। भारत में हर साल 1.68 लाख से ज्यादा सड़क दुर्घटना में मौतें होती हैं, जिनमें 70% तेज गति से जुड़ी हैं। Bharat NCAP में टेस्ट हुए सभी मॉडल 909 किलोग्राम से अधिक वजन वाले हैं। इससे यह बात पता चलती है कि हल्की कारें जरूरी सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं कर पातीं। इसलिए इस वजन कैटेगरी को छूट देना सुरक्षा मानकों को कमजोर कर सकता है।” कंपनी ने मीडिया के सवालों पर कोई टिप्पणी नहीं दी।
मारुति सुजुकी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (कॉर्पोरेट अफेयर्स) राहुल भारती ने कहा कि छोटी कारों को CAFE में संरक्षण देना वैज्ञानिक जरूरी और ग्लोबल नार्म्स है। चीन, अमेरिका, साउथ कोरिया, जापान सभी देशों में छोटे मॉडलों के लिए कुछ राहत दी जाती है। यह राष्ट्रीय हित में है।
CAFE (कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल इफीशिएंसी) कार बनाने वाली कंपनी के पूरे वाहन बेड़े (फ्लीट) के लिए CO₂ उत्सर्जन की सीमा तय करता है। यह स्टैंडर्ड पावर मिनिस्ट्री के अधीन ब्यूरो ऑफ एनर्जी इफीशिएंसी (BEE) बनाता है।
BEE ने FY28–FY32 के लिए जून 2024 में CAFE-3 नॉर्म्स का अपना पहला ड्राफ्ट जारी किया। विस्तार से सलाह-मशविरे के बाद सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (Siam) ने दिसंबर 2024 में कई बदलावों की मांग करते हुए अपनी टिप्पणी दी। कुछ महीने बाद, भारत की सबसे बड़ी कार बनाने वाली और छोटी कारों की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुज़ुकी (MSIL) ने छोटे पेट्रोल मॉडल्स के लिए वजन के आधार पर छूट की मांग करते हुए BEE से संपर्क किया। इस कदम से इंडस्ट्री में अलग-अलग रुख हो गए।
खट्टर को लिखे अपने लेटर में JSW MG मोटर ने कहा, “909 kg से कम वजन वाली 95 फीसदी से ज्यादा कारें एक ही कंपनी (OEM) बनाती है। इस वजन बैंड तक सीमित छूट से एक मैन्युफैक्चरर को ज्यादा फायदा होगा, जिससे मार्केट कॉम्पिटिशन बदलेगा और दूसरों को नुकसान होगा, जो लेवल प्लेइंग फील्ड के सिद्धांत के खिलाफ़ है।”
कंपनी ने कहा कि क्योंकि इलेक्ट्रिक गाड़ियां बैटरी के वजन की वजह से बनावट में भारी होती हैं, इसलिए पेट्रोल कारों के लिए वजन से जुड़ी छूट से EVs को ‘तुलनात्मक नुकसान’ होगा, जिससे भारत का जीरो-एमिशन मोबिलिटी में बदलाव धीमा हो जाएगा और CAFE-3 के लिए जरूरी पूरे बेड़े में एफिशिएंसी में सुधार कम हो जाएगा। JSW MG मोटर के पास भारत के EV मार्केट का लगभग 35 फीसदी हिस्सा है और उसका कहना है कि अब उसकी तीन-चौथाई से ज्यादा बिक्री इलेक्ट्रिक मॉडल से होती है।
कंपनी ने आगे कहा कि वजन का किफायत से कोई सीधा संबंध नहीं है। एक जैसी कीमत वाली कारों में अक्सर प्लेटफॉर्म डिजाइन, सेफ्टी फीचर और टेक्नोलॉजी कंटेंट की वजह से कर्ब वेट में अंतर होता है। करीब 10 लाख की कीमत वाले कई मॉडल 909 kg की लिमिट से थोड़ा ऊपर होते हैं। वजन पर आधारित छूट से उसी कीमत वाले सेगमेंट के कुछ प्रोडक्ट को फायदा होगा, और कम आय वाले ग्राहकों को सीधे फायदा नहीं होगा।
कंपनी ने सरकार से अपील की कि वह मौजूदा GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) सिस्टम के अंतर्गत छोटी कारों को जिस तरह से परिभाषित किया गया है, उसी तरह बनाए रखे। कंपनी का कहना है, “छोटी कारों की GST परिभाषा के साथ एक जैसा बनाए रखने की जरूरत है। कई सालों से, छोटी कारों को GST के तहत लंबाई (4 मीटर से कम) और इंजन कैपेसिटी (पेट्रोल के लिए 1200cc से कम और डीजल के लिए 1500cc से कम) के हिसाब से साफ तौर पर डिफाइन किया गया है। इंडस्ट्री इन्वेस्टमेंट, लोकलाइजेशन और सप्लाई चेन को इसी परिभाषा के हिसाब से तालमेल बनाए हुए है। CAFE के तहत एक समानांतर, वजन के आधार पर परिभाषित करने से पॉलिसी में गड़बड़ी और रेगुलेटरी अनिश्चितता पैदा होने का खतरा है।
कंपनी ने कहा कि FY25 में भारत की कुल कार बिक्री में 909 kg से कम वजन वाली कारों का हिस्सा 15 फीसदी था। कंपनी ने चेताया कि इस कैटेगरी के लिए कोई भी खास राहत भारत की इम्पोर्टेड क्रूड पर निर्भरता कम करने की कोशिशों को कमजोर कर सकती है, और हवा की क्वालिटी और पूरे फ्लीट में इमिशन में सुधार को धीमा कर सकती है। उसने आगे कहा, “जरूरी बात यह है कि यह उस सेगमेंट में टेक्नोलॉजिकल प्रोग्रेस को रोक सकता है जहां (फ्यूल) एफिशिएंसी में बढ़ोतरी की सबसे ज्यादा जरूरत है।