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Editorial: इंडिगो संकट के सबक, पायलटों की कमी से मानव संसाधन प्रबंधन पर उठे सवाल

आसानी से समझा जा सकता है कि इन आवश्यकताओं के लिए विमानन कंपनियों को अपने यहां पायलट और अन्य कर्मचारियों की भर्ती तेज करनी होगी

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- December 04, 2025 | 9:56 PM IST

देश की सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी वाली विमानन कंपनी इंडिगो को नई पायलट रोस्टर नीतियों के कारण बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिसने मानव संसाधन प्रबंधन पर अवांछित रोशनी डाली है। मानव संसाधन प्रबंधन इस उद्योग में कुशल और सुरक्षित संचालन के केंद्र में है। हालांकि विमानन कंपनी ने देशव्यापी अव्यवस्था के लिए माफी मांगी है लेकिन योजना के स्पष्ट अभाव पर समुचित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

देश की सभी विमानन कंपनियों के पास इन नियमों की तैयारी के लिए पूरा समय था। नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने जनवरी 2024 में इसकी अधिसूचना जारी करते हुए कहा था कि जून 2024 में इसे शुरू कर दिया जाएगा मगर विमानन कंपनियों ने तैयारी के लिए और समय मांगा, जिसके बाद इसे टाल दिया गया। इसके बाद डीजीसीए ने नियमों को दो चरणों में जुलाई और फिर नवंबर 2025 में लागू करने की इजाजत दी। इसका अर्थ यह है कि विमानन कंपनियों के पास नए रोस्टरिंग नियमों की तैयारी के लिए एक वर्ष का समय था।

देश के विमानन उद्योग की तेज वृद्धि को देखते हुए ये नये नियम अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं और अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन के श्रेष्ठ व्यवहारों के अनुरूप भी हैं। ये मुख्य तौर पर पायलटों की थकान से संबंधित हैं। ध्यान रहे कि दुनिया भर में होने वाली विमान दुर्घटनाओं में से 20 फीसदी पायलटों की थकान के कारण होती हैं। द फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) में सप्ताह में 48 घंटे आराम की बात कही गई है। इसके मुताबिक रात में केवल दो विमानों के उतरने यानी लैंडिंग की इजाजत है और इनमें मध्य रात्रि से सुबह छह बजे (पहले पांच बजे) तक होने वाली लैंडिंग शामिल हैं। लगातार ड्यूटी की अवधि भी तय की गई है। इसके अलावा विमान चालकों को उड़ान के तय समय से एक घंटे से अधिक अवधि तक उड़ान भरने की इजाजत नहीं है। जो चालक बहुत लंबी दूरी की उड़ान भरते हैं उन्हें दो लगातार उड़ानों के बीच कम से कम 24 घंटे का आराम देने की बात भी इसमें शामिल है।

आसानी से समझा जा सकता है कि इन आवश्यकताओं के लिए विमानन कंपनियों को अपने यहां पायलट और अन्य कर्मचारियों की भर्ती तेज करनी होगी। वास्तव में ऐसा केवल एफडीटीएल के मानक की वजह से ही नहीं करना होगा। इंडिगो 1,000 से अधिक नए विमान खरीदने वाली है और एयर इंडिया करीब 500 विमानों का ऑर्डर दे रही है। छोटी विमानन कंपनियां भी विस्तार कर रही हैं। ऐसे में निकट भविष्य में प्रशिक्षित पायलटों की मांग 20,000 को पार कर सकती है। वर्तमान में पायलटों की कमी मांग और आपूर्ति के असंतुलन की वजह से कम है और समय-समय पर विमानन कंपनियों द्वारा भर्तियां धीमी करने की वजह से ज्यादा है।

विमानन क्षेत्र में मांग कुछ समय के लिए ही बढ़ती है, जिसकी वजह से इंडिगो जैसी बड़ी विमानन कंपनियां सभी विभागों में न्यूनतम कर्मचारियों के साथ काम करती हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने इस विमानन कंपनी पर भर्तियां रोकने का आरोप लगाया है और डीजीसीए से आग्रह किया है कि जब तक विमानन कंपनियों के पास सुरक्षित और भरोसेमंद परिचालन के लिए पर्याप्त कर्मचारी न हों तब तक उनके सीजनल उड़ान कार्यक्रमों को मंजूरी न दी जाए।

दूसरी विमानन कंपनियों को इतने बड़े पैमाने पर दिक्कत नहीं हुई इसलिए यह दलील कुछ हद तक सही भी लगती है। मगर कंपनी कह सकती है कि प्रशिक्षण संस्थानों से निकले पायलटों की गुणवत्ता तेज भर्ती की राह में बाधा है। इस साल के आरंभ में डीजीसीए ने उड़ान प्रशिक्षण संस्थानों की रैंकिंग जारी की और बताया कि कोई भी शीर्ष श्रेणी (ए+ और ए) में नहीं पहुंच पाया और ज्यादातर बी तथा सी श्रेणी में रहे।

इसका मतलब है कि विमानन कंपनियां नियमित भर्ती करना चाहें तो भी गुणवत्ता की वजह से वे ऐसा नहीं कर सकतीं। साथ ही नए पायलटों के प्रशिक्षण या महंगे विदेशी पायलटों की भर्ती का आर्थिक बोझ भी उनके लिए मुश्किल होता है। कुल मिलाकर यह संकट बताता है कि विमानन क्षेत्र में मानव संसाधन की जरूरतों, उनकी उपलब्धता और प्रशिक्षण पर व्यापक ध्यान देने की आवश्यकता है।

First Published : December 4, 2025 | 9:51 PM IST