संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार टीबी, एड्स और दूसरी बीमारियों से निपटने के साथ साथ जलवायु परिवर्तन जैसी नई वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये दुनिया के देशों को 400 अरब डालर की राशि जुटाने की आवश्यकता है।
ऐसे समय जब विकसित देश वित्तीय संकट से घिरे हैं संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक विकास पर आज जारी सालाना रिपोर्ट विश्व आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण 2012 में कहा गया है कि मौजूदा कठिन समय में दुनिया के कई दानदाता देशों ने विकास सहायता में कटौती की है। पिछले कई सालों में पहली बार वर्ष 2011 में सहायता प्रवाह में गिरावट आई है।
विकास योजनाओं के लिये वित्तीय सहायता की नई खोज पर केन्दि्रत इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों की वित्तीय जरुरतें दानदाता देशों की अनुदान सहायता देने की क्षमता और इच्छा से कहीं आगे निकल चुकी हैं। ऐसे में सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों तथा जलवायु परिवर्तन जैसी दूसरी वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये आवश्यक संसाधन जुटाना काफी मुश्किल होता जा रहा है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुख्य लेखक राब वोस के अनुसार दानदाता देश सहायता देने के अपने वादों को पूरा नहीं कर पाये। विभिन्न देशों में बजट में कटौती की वजह से विकास सहायता राशि में कमी बढ़कर 167 अरब डालर तक पहुंच गई। उन्होंने कहा कि दानदाता देशों को अपने वादे को पूरा करना चाहिये लेकिन इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन की बढ़ती वैश्विक चुनौती से निपटने के लिये नये संसाधन तलाशने होंगे।
जारी भाषा
 
                   
                   
                   
                   
                  