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Scam Alerts: स्कैम कॉल आए तो फोन काटें, पार्सल फ्रॉड से डरें नहीं बल्कि खुद को बचाएं

पार्सल धोखाधड़ी (Parcel fraud) से बचने का सबसे बेहतर उपाय जागरूक रहना और यह समझना है कि फर्जीवाड़ा कैसे किया जाता है।

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कार्तिक जेरोम   
Last Updated- May 12, 2024 | 10:29 PM IST

Parcel fraud:दिल्ली में एक विज्ञापन एजेंसी में काम करने वाली 32 साल की श्रेयांशी सिंह (नाम बदला हुआ) कुछ दिन पहले जब दफ्तर में थीं तो एकाएक उनका फोन बजा। फोन करने वाले ने कहा कि अमेरिका से उनके नाम एक पार्सल भेजा गया है, जो कस्टम विभाग के पास फंसा हुआ है।

उन्हें बताया गया कि पार्सल छुड़ाने के लिए कुछ हजार रुपये चुकाने होंगे। मगर श्रेयांशी का न तो कोई परिचित अमेरिका में रहता था और न ही उन्होंने वहां किसी ई-कॉमर्स कंपनी से कुछ ऑर्डर किया था। वह फौरन भांप गईं कि यह फर्जीवाड़ा हो रहा है और उन्होंने फोन काट दिया।

वकील और साइबर अपराध एवं डेटा सुरक्षा विशेषज्ञ प्रशांत माली कहते हैं, ‘पार्सल धोखाधड़ी पिछले कुछ समय से बहुत तेजी से फैल रही है। अब यह पार्सल फ्रॉड मझोले और छोटे शहरों तक भी पहुंच गया है।’

कैसे होती है धोखाधड़ी?

इस तरह की धोखाधड़ी में जिसे शिकार बनाया जाता है, उसके पास आम तौर पर फोन पहुंचता है और फोन करने वाला ठग खुद को किसी कूरियर कंपनी का कर्मचारी बताता है।

फोन पर वह दावा करता है कि उस व्यक्ति के पार्सल में कोई प्रतिबंधित या नशीला पदार्थ मिला है। शिकार को भरोसे में लेने के लिए ठग विस्तार से जानकारी देता है और उसे फौरन पुलिस या कस्टम विभाग के अधिकारियों से बात करने के लिए कहता है।

कुछ ही देर में शिकार के पास दूसरे फोन आने शुरू हो जाते हैं। फोन करने वाले खुद को पुलिस या कस्टम के अधिकारी बताते हैं। कई बार ये लोग पुलिस अधिकारी की वर्दी पहनकर वीडियो कॉल भी करते हैं और उनके आसपास का माहौल या फर्नीचर बिल्कुल पुलिस थाने जैसा लगता है।

खेतान एंड कंपनी में पार्टनर सुप्रतिम चक्रवर्ती कहते हैं, ‘इन फोन कॉल का मकसद शिकार या पीड़ित को यकीन दिलाना है कि पुलिस ने मामला अपने हाथ में ले लिया है। इसके बाद उन्हें मामला रफा-दफा करने के लिए कुछ पैसे देने को कहा जाता है।’ इसके बाद डराने-धमकाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। करंजावाला ऐंड कंपनी की पार्टनर मेघना मिश्रा कहती हैं, ‘पीड़ित धमकाया जाता है कि उसके साथ कुछ भी हो सकता है और वह गिरफ्तार भी हो सकता है। इस तरह उसे रकम भेजने के लिए मजबूर कर दिया जाता है।’

Parcel fraud के कई हैं तरीके

इस तरह के घोटाले में अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। ठगने वाला शख्स कई बार एक लिंक भेजता है और अपने शिकार से उस पर छोटी सी रकम भेजने के लिए कहता है ताकि पार्सल छुड़ाया जा सके।

ईवाई फोरेंसिक ऐंड इंटेग्रिटी सर्विसेज में पार्टनर दीप मेहता समझाते हैं, ‘पीड़ित व्यक्ति जैसे ही लिंक पर क्लिक करता है तो उसके फोन में एक स्क्रीन मिररिंग ऐप डाउनलोड हो जाता है, जिसका पता उसे नहीं चलता। जैसे ही वह व्यक्ति पेमेंट करता है, अपराधी उसके बैंक खाते या वॉलेट की जानकारी चुरा लेते हैं और बाद में उसमें से बड़ी रकम अपने खाते में ले लेते हैं।’

कभी कभी अपराधी गूगल पर फर्जी लिंक भी डाल देते हैं। जिन लोगों को किसी नामी कूरियर कंपनी से अपने पार्सल का इंतजार होत है, वे उसकी स्थिति का पता करने के लिए कई बार कंपनी की वेबसाइट सर्च करते हैं और उनके सामने ये फर्जी लिंक आ जाते हैं।

सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के जरिये ये फर्जी लिंक सर्च के परिणाम में सबसे ऊपर ला दी जाती हैं। वेबसाइट ढूंढने वालों को किसी तरह का शक नहीं होता और वे जाली पेज पर पहुंच जाते हैं।

मेहता कहते हैं, ‘वहां पर शिकार से कस्टम विभाग को या किसी अन्य कारण से किसी अन्य विभाग को भुगतान करने के लिए कहा जाता है। उसे यकीन दिलाया जाता है कि पैसा भेजते ही उसका पार्सल छोड़ दिया जाएगा। शिकार से पैसा पहुंचते ही अपराधी उसे निकाल लेते हैं और वह पार्सल का इंतजार ही करता रह जाता है।’

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की धोखाधड़ी ई-कॉमर्स कंपनी या उसे वेयरहाउसिंग अथवा कूरियर सेवा दे रही कंपनी से जानकारी चोरी होने के कारण होती है। इससे अपराधियों को पता चल जाता है कि विदेश से किसका पार्सल आ रहा है।

पार्सल झांसे से कैसे बचें?

पार्सल धोखाधड़ी (Parcel fraud) से बचने का सबसे बेहतर उपाय जागरूक रहना और यह समझना है कि फर्जीवाड़ा कैसे किया जाता है।

चक्रवर्ती कहते हैं, ‘यदि आपको धोखाधड़ी का शक हो रहा है तो फौरन फोन काट दें। संदेह है, तो कॉल काट दें। एक पल के लिए रुककर सोचें कि उसने जो बात कही है, उसमें कुछ अजीब या गलत तो नहीं है। इसके बाद गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और कानून प्रवर्तन विशेषज्ञों से राय लें कि आपके साथ धोखाधड़ी तो नहीं हो रही। जल्दबाजी में पैसे भेजने या गोपनीय जानकारी देने से भी बचें।’

मेहता की राय है कि गूगल पर सर्च करते समय आप जिस वेबसाइट पर पहुंच रहे हैं, उसके यूआरएल की बारीकी से जांच करें और पक्का करें कि वेबसाइट असली ही है। किसी अनजान वेबसाइट से कुछ भी ऑर्डर करने से बचें। उन वेबसाइट से तो एकदम दूर रहें, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या सर्च इंजन के जरिये आपको मिली हैं।

अगर आपसे कहा जा रहा है कि विदेश से आया कोई पार्सल कस्टम विभाग ने रोक लिया है तो पैसा बिल्कुल नहीं दें। उसके बजाय कस्टम विभाग से समन मंगाने के लिए कहें।अपने आप भी पता करें कि फोन कहां से आया था।

मेघना की सलाह है, ‘जिस डिलिवरी कंपनी का नाम लिया जा रहा है, उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। वहां दिए गए फोन नंबर पर कॉल करें या उससे कभी पहले सामान मंगाया हो तो उसके जरिये संपर्क स्थापित करें। इस तरह कंपनी से सीधे जानकारी लें।’

माली आगाह करते हैं कि यदि डिलिवरी फेल होने की बात कहते हुए कोई एसएमएस आया है तो उसमें दिए लिंक पर भूलकर भी क्लिक नहीं करें। सबसे पहले पता कर लें कि वह एसएमएस असली कंपनी से आया है या नहीं। पार्सल कहां तक पहुंचा है, यह पता लगाने के लिए कूरियर कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ट्रैकिंग आईडी का इस्तेमाल करें।

First Published : May 12, 2024 | 10:29 PM IST