प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने गुरुवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष 2026 के दौरान भारत में असुरक्षित खुदरा ऋणों (व्यक्तिगत ऋण और माइक्रोफाइनैंस) में फंसा ऋण चरम पर होगा। इसमें यह भी कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता के कारण बुनियादी ढांचे को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में कॉरपोरेट का पूंजीगत व्यय प्रभावित हो सकता है। इसकी वजह से भारत में ऋण वृद्धि प्रभावित हो सकती है। कॉरपोरेट उधारी ने गति पकड़ी है, लेकिन अनिश्चितता की स्थिति में निजी पूंजीगत व्यय से जुड़ी वृद्धि में देरी हो सकती है।
रेटिंग एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अमेरिका के साथ भारत का कम कारोबार होने की वजह से शुल्क का असर कम रहेगा, लेकिन भारत में माल भेजे जाने जैसे द्वितीयक असर स्टील और रसायन जैसे कुछ क्षेत्रों में हो सकता है।
एसऐंडपी ग्लोबल ने इस बात पर जोर दिया है कि तेजी से बढ़े कुछ खुदरा क्षेत्रों जैसे असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण और माइक्रोफाइनैंस ऋण में गैर निष्पादित संपत्ति बढ़ सकती है। छोटे और मझोले उद्यमों (एसएमई) और वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र पर दबाव के कारण शुरुआती चूक बढ़ी है।
इसमें कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि सुरक्षित खुदरा ऋण में अंडरराइटिंग मानक बेहतर है और इस सेग्मेंट में चूक प्रबंधन योग्य रहेगी। इसी तरह से माइक्रोफाइनैंस में नियम सख्त किए जाने से संपत्ति की गुणवत्ता पर दबाव पड़ सकता है। भारत की बेहतरीन वृद्धि और ब्याज दर में गिरावट से भी बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता को समर्थन मिल रहा है।’
भारतीय रिजर्व बैंक ने असुरक्षित ऋणों में तेज वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए 2023 में असुरक्षित ऋण पर जोखिम अधिभार बढ़ाया। बाद में बैंकिंग नियामक ने 2024 में मानदंडों में ढील दी। माइक्रोफाइनैंस उद्योग निकायों – एमएफआईएन और सा-धन ने भी कम आय वाले उधारकर्ताओं की संख्या सीमित करने के कदम उठाए हैं।
बैंक ऋण पर एसऐंडपी ग्लोबल ने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त वर्ष 26 में ऋण वृद्धि 11-12 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी, जो वित्त वर्ष 2025 के स्तर के समान है। इसमें खुदरा ऋण सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं।’