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मटर की बंपर आमद से टूटे दालों के दाम, मगर किसानों की चिंता बढ़ी

दालों के आयात में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण पीली मटर के आयात में वृद्धि है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने करीब 20.4 लाख टन मटर का आयात किया है।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- April 11, 2025 | 11:11 PM IST

अनुकूल कर ढांचे के कारण भारत में दालों का आयात वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 7 साल के उच्च स्तर 67 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है। ज्यादातर दालों पर आयात शुल्क शून्य रखा गया है, जिससे कि आपूर्ति सुनिश्चित  हो सके और कीमतों में वृद्धि न हो।

दालों के आयात में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण पीली मटर के आयात में वृद्धि है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने करीब 20.4 लाख टन मटर का आयात किया है, जो कुल आयात का करीब 31 प्रतिशत है। यह वित्त वर्ष 2017-18 के बाद सर्वाधिक मात्रा में आयात है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और रूस से भारी मात्रा में मटर का आयात किया गया है। 

मटर भारत में आयात होने वाली सबसे सस्ती दाल है। इसका आयात मूल्य प्रमुख दालों के  न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है। यह तमाम लोगों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह किसानों को अनाज की फसल की बोआई छोड़कर दालों की ओर जाने की मंशा को हतोत्साहित करती है। 

कारोबारियों का कहना है कि आगे भी इस दलहन का बड़ी मात्रा में आयात जारी रहेगा, जब तक कि मटर के आयात को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए जाते हैं। मटर के बाद सबसे ज्यादा आयात देसी चना का हुआ है। उसके बाद मसूर का स्थान आता है।  

First Published : April 11, 2025 | 10:43 PM IST