वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में जेएसडब्ल्यू स्टील (JSW Steel) का समेकित शुद्ध लाभ पिछले साल की तुलना में तेजी से गिरा है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी जयंत आचार्य (JSW Steel CEO) ने वर्चुअल माध्यम से दिए इंटरव्यू में ईशिता आयान दत्त को बताया कि वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही बेहतर रहेगी और उन्होंने पूंजीगत व्यय की योजना के बारे में भी जानकारी दी। प्रमुख अंश…
जेएसडब्ल्यू स्टील का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में करीब 65 प्रतिशत घट गया। क्या वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही इससे बेहतर रहेगी?
रहेगी। हमने अनुमान लगाया था कि चौथी तिमाही में लागत बढ़ेगी। दुर्भाग्य से सस्ते आयात और चुनाव से पहले स्टॉक खत्म किए जाने से कीमतें भी कम हो गईं। परिणामस्वरूप मार्जिन कम हो गया। लेकिन बाजार के नजरिये से हमने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। वित्त वर्ष 24 (पूरे साल) में एबिटा 28,236 करोड़ रुपये था। जेएसडब्ल्यू स्टील के लिए यह दूसरा सबसे बड़ा एबिटा था।
चुनाव के दौरान मांग सुस्त हो गई है। क्या बाजार अभी भी ठंडा है?
पिछली तिमाही में कम कीमत वाले आयात और चुनाव से पहले आर्थिक गतिविधियां धीमी होने के कारण मांग कुछ धीमी हो गई थी। चुनाव के बाद यह लौट आएगी। अब तक हुई वृद्धि की राह पर बढ़ते हुए बजट सकारात्मक रहेगा। इसलिए मांग के नजरिये से मुझे कोई बदलाव नहीं दिख रहा।
पिछले साल भारत में हमारी बढ़ती मांग 1.6 करोड़ टन थी और इस साल अगर हम चौथी तिमाही की भी बात करें, जो कमजोर तिमाही थी, तो भी हम 1.2 करोड़ टन जोड़ देंगे। मुझे नहीं लगता कि इस साल भारत में 1.2 करोड़ टन क्षमता आएगी। यहां तक कि अगले दो साल में भी आपूर्ति, मांग से कम रह सकती है। लेकिन आयात निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
अमेरिका ने चीनी इस्पात पर शुल्क बढ़ा दिया है। क्या आप इससे चिंतित हैं कि कुछ इस्पात भारत आ सकता है?
अमेरिका ने कतिपय उत्पादों पर कुछ कदम उठाए हैं। इनमें ज्यादातर इलेक्ट्रिक वाहन, सेमीकंडक्टर, बैटरी और कुछ इस्पात व एल्युमीनियम के उत्पाद शामिल हैं। हालांकि आयात-निर्यात के कुल आकार पर शायद प्रभाव उतना ज्यादा न हो। लेकिन हमारे लिए चीन की दास्तां समझना जरूरी है क्योंकि हम भौगोलिक रूप से उसके नजदीक हैं। इसलिए चीन से निर्यात के अधिक स्तर के कारण हमें चिंता दिख रही है। पिछले साल भारत में चीन से आयात में 93 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। इसलिए यह हमारे लिए चिंता का विषय है।
पिछले महीने इस्पात के दाम बढ़ गए। वित्त वर्ष 25 के लिए मांग और कीमत के संबंध में क्या नजरिया है?
हम पिछले दो वर्षों से हर साल 13 से 13.5 प्रतिशत की दर से बढ़े हैं। मुझे इस वर्ष भी मजबूत वृद्धि दिख रही है। कीमतें निचले स्तर पर पहुंच चुकी हैं। चौथी तिमाही में पहुंचा स्तर व्यावहारिक नहीं था। इसलिए हम बेहतर मूल्य निर्धारण परिदृश्य देखेंगे। कोकिंग कोयले की कीमतें कम होने से लागत कम होनी चाहिए। बेहतर मूल्य निर्धारण और दक्षता के साथ हमें मार्जिन में सुधार की उम्मीद है।
क्या आपने वित्त वर्ष 31 तक 5.1 करोड़ टन के लक्ष्य के लिए निवेश की जरूरत पर काम किया है?
हां, हमने कर लिया है। लेकिन अब हम यह कह सकते हैं कि अगले तीन साल में हम डोल्वी के लिए घोषित नए पूंजीगत व्यय सहित करीब 65,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। हम अपने अगले स्तर के लिए मौजूदा क्षमता विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। डोल्वी हमें 4.35 करोड़ टन इस्पात तक ले जाएगा और हम दुनिया के शीर्ष पांच इस्पात उत्पादकों में होंगे।
वैश्विक मांग कब सुधर सकती है?
पिछले साल वास्तव में चीन को छोड़कर शेष विश्व ही वृद्धि कर रहा था। इस साल भी चीन की हालत सुस्त है लेकिन दुनिया की मांग तीन करोड़ टन तक बढ़ने की उम्मीद है। इसमें से करीब 40 प्रतिशत भारत से आएगी।
अच्छी बात यह है कि चीन और कुछ प्रभावित क्षेत्रों को छोड़कर बाकी दुनिया में विकास होगा। यूरोप निचले स्तर पर पहुंच चुका है। भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद स्थिरता लौट रही है। दुनिया ने हमारी अपेक्षा से बेहतर काम किया है।