आज का अखबार

7 फीसदी से अधिक वृद्धि के लिए निवेश दर बढ़ाना जरुरी

ईएसी के चेयरमैन ने बताया, ‘भारत के लिए गायब मध्य एक सवाल है। भूमि व श्रम के मार्केट सुधारों की जरूरत है और इसमें राज्य को नेतृत्वकारी भूमिका निभानी है।

Published by
रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- November 20, 2025 | 8:56 AM IST

भारत को 7 प्रतिशत और उससे अधिक की वृद्धि दर को हासिल करने के लिए निवेश दर को बढ़ाकर 34-35 प्रतिशत करने की जरूरत है जबकि अभी यह दर 31-32 प्रतिशत है। ऐसे में निजी क्षेत्र की भूमिका अहम है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के चेयरमैन महेंद्र देव ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में बुधवार को यह भी कहा कि अनिश्चितताओं के बीच विशेषतौर पर विदेशी निवेश प्रभावित होने से निवेश को धन मुहैया कराने के लिए बचत बढ़ाने की जरूरत है।

देव ने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए श्रम प्रधान, उच्च विनिर्माण विकास की ओर अग्रसर होने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारत के विनिर्माण क्षेत्र में ‘गायब मध्य’ (मिसिंग मिडिल) को भी उजागर किया। भारत में छोटी या बहुत बड़ी फर्म उत्पादकता में बाधा पैदा कर रही हैं। ईएसी के चेयरमैन ने बताया, ‘भारत के लिए गायब मध्य एक सवाल है। भूमि व श्रम के मार्केट सुधारों की जरूरत है और इसमें राज्य को नेतृत्वकारी भूमिका निभानी है। एमएसएमई के सामने आने वाले मुद्दों पर नियमन हटाने वाली समिति भी विचार कर रही है।’

उन्होंने कहा कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र एक दूसरे के पूरक थे और यह ग्राहक या उद्योग (फॉरवर्ड) और आपूर्ति (बैकवर्ड) समन्वय के लिए जरूरी है। उन्होंने बताया, ‘सेवा क्षेत्र को भी बढ़ते हुए विनिर्माण क्षेत्र की जरूरत होती है।’

देव ने भारत के वृद्धि के लिए निर्यात के महत्त्व को भी उजागर किया। उन्होंने कहा, ‘कोई भी उभरती मार्केट मजबूत निर्यात वृद्धि के बिना 7 से 8 प्रतिशत की दर से विकास नहीं कर सकती है।’ उन्होंने कहा कि जीडीपी में निर्यात की हिस्सेदारी केवल 20 प्रतिशत है और इसका अन्य क्षेत्रों पर कई गुना प्रभाव पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि कई लोगों ने भारत को ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के लिए समग्र व प्रगतिशील समझौते या क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी जैसे क्षेत्रीय समूहों में शामिल होने का सुझाव दिया। इसलिए सरकार को इसके फायदे और नुकसान पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि नियम-आधारित विश्व व्यापार संगठन संरक्षणवाद से हमेशा बेहतर होता है… अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कमी के बावजूद भारत के लिए व्यापारिक वस्तुओं के व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के कई अवसर हैं।’

देव ने वैश्विक चुनौतियों के मामले में कहा कि विकासशील और विकसित देशों में औद्योगिक नीति का पुनरुत्थान आर्थिक रणनीति में महत्त्वपूर्ण बदलाव रहा है। देव ने बताया कि 1960 की 101 मध्यम आय अर्थव्यवस्थाओं में से केवल 23 ही उच्च आय के स्तर को हासिल कर पाईं। भारत को मध्य आय के चक्रव्यूह से बचने की जरूरत है।

देव ने कहा, ‘जीडीपी वृद्धि महत्त्वपूर्ण है लेकिन यह जरूरी है कि इसे हरेक साझा करे – समावेशिता और चिरस्थायित्व जरूरी है। वृद्धि के लिए रोजगार महत्त्वपूर्ण है।’उन्होंने बताया कि विकसित देश अन्य विकसित राज्यों से मानव विकास में अंतर को पाट रहे हैं लेकिन अभी भी प्रति व्यक्ति आय में असमानता कायम है।

First Published : November 20, 2025 | 8:56 AM IST