उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के मसौदे के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन अदालत ने निर्वाचन आयोग से भी कहा कि वह उसके पहले के आदेश का अनुपालन करते हुए बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के लिए आधार और मतदाता पहचान पत्र को स्वीकार करना जारी रखे। दोनों ही दस्तावेजों के प्रामाणिक होने की धारणा है।
पीठ ने कहा, ‘जहां तक राशन कार्ड का सवाल है, तो हम यह कह सकते हैं कि उसकी आसानी से जालसाजी की जा सकती है, लेकिन आधार और मतदाता पहचान पत्र की कुछ विश्वसनीयता है और उनके प्रामाणिक होने की धारणा है। आप इन दस्तावेजों को स्वीकार करना जारी रखें।’
एक गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि मतदाता सूची को अस्थायी तौर पर अंतिम रूप नहीं दिया जाना चाहिए और मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगनी चाहिए। पीठ ने न्यायालय के पिछले आदेश पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि याची अंतरिम राहत के लिए अनुरोध नहीं कर रहे। पीठ ने कहा कि इसलिए अब ऐसा नहीं किया जा सकता तथा मामले का स्थायी निपटारा किया जाएगा।
पीठ ने कहा कि वह मंगलवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद अंतिम निर्णय लेगा। निर्वाचन आयोग
अदालत ने कहा कि वह मंगलवार को मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अंतिम निर्णय लेगी। शीर्ष अदालत के दो न्यायाधीशों के पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग जालसाजी के मामलों से एक-एक कर निपट सकता है, क्योंकि किसी भी दस्तावेज में जालसाजी की जा सकती है। अदालत ने 10 जुलाई को आयोग से कहा था कि वह विधान सभा चुनाव से पहले बिहार में चुनावी सूची के एसआईआर के लिए आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को स्वीकार्य दस्तावेजों के रूप में माने। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके निर्देश का मतलब यह नहीं है कि आयोग को केवल इन दस्तावेजों के आधार पर किसी का भी नाम सूची में शामिल करना होगा।
अदालत ने कहा, ‘आपने कहा है कि आपकी सूची विस्तृत नहीं है। यदि आपके पास आधार को रद्द करने का कोई अच्छा कारण है, तो आप ऐसा बिल्कुल करें, लेकिन इसका कारण बताना होगा।’
एक जवाबी हलफनामे में आयोग ने कहा था कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को बिहार में चुनावी सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान के तहत मतदाता पात्रता के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है। ये तीनों दस्तावेज मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के दौरान पात्रता को सत्यापित करने के लिए आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
शीर्ष अदालत आयोग के 24 जून के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन का आदेश दिया गया है।