प्रौद्योगिकी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में आर्टीफिशल इंटेलिजेंस (AI) और जेनरेटिव एआई (GenAI) को अपनाने में जो तेजी देखी है, वह माइक्रोसॉफ्ट इंडिया (Microsoft India) की प्रबंध निदेशक इरीना घोष के लिए सबसे अच्छे दौर में से एक साबित हो रही है। घोष को माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के प्रबंध निदेशक की कमान संभाले अगले महीने एक साल पूरा हो रहा है।
लिंक्डइन के साथ वर्क ट्रेंड इंडेक्स की पेशकश के अवसर पर बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में घोष ने कहा, ‘यह निश्चित तौर पर शानदार दौर है। मैं लगभग 22 वर्षों से माइक्रोसॉफ्ट में हूं, लेकिन यह हर किसी के लिए सबसे अच्छा दौर है।’
भारत में कंपनी की कमान संभाले इरीना को जून में एक साल हो जाएगा। इसकी मुख्य वजह यह है कि देश में एआई की गति कंपनी के लिए असाधारण रही है।
घोष ने कहा, ‘हमने देखा है कि हमारे करीब 500 ग्राहकों ने एआई और जेनएआई को अपनाया है और वे बैंकिंग, बीमा, हेल्थकेयर, शिक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे उद्योगों से जुड़े हैं। यह काफी मजबूत रफ्तार है और इसमें तेजी लाने के लिए हम ग्राहकों के साथ लगातार जुड़ रहे हैं।’
एआई (AI) की चर्चा और कर्मचारियों को एआई पर कौशल में एक चीज जो भारतीय तकनीकी कंपनियों को फोकस में ला रही है, वह है ऑफिस से काम करने का चलन। जब पूछा गया कि क्या वर्क-फ्रॉम-होम अब सामान्य बात हो गई है तो घोष ने कहा कि ‘भविष्य का कार्य हाइब्रिड है’।
घोष ने कहा, ‘कोविड के बाद हमने देखा है कि भविष्य का कार्य हाइब्रिड वर्क मॉडल के र्द-गिर्द ही विकसित होगा। हालांकि हाइब्रिड मॉडल में कुछ चीजें शामिल होती हैं। इसमें यह शामिल है कि कैसे हरेक कर्मचारी ऐसे हाइब्रिड परिवेश में बातचीत करता है, वह टूल्स का उपयोग करके काम को कैसे समावेशी बनाता है।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘कार्य की प्रवृत्ति का स्वरूप भविष्य में बदलेगा। इसे हकीकत बनाने में माइक्रोसॉफ्ट 365, कोपायलट जैसे जेनएआई-केंद्रित टूल्स का अहम योगदान रहेगा।’
यह पूछने पर कि कर्मचारियों को कार्यालय में वापस बुलाने के लिए कुछ आईटी कंपनियां दबाव की जो रणनीति अपना रही हैं क्या वह सही है, तो उन्होंने कहा, ‘किसी भी संगठन में हमेशा एक बहुत ही जीवंत संस्कृति अपनाने का इरादा होता है और आप प्रौद्योगिकी के उपयोग या लोगों के साथ बातचीत के माध्यम से इसे कैसे संभव बनाते हैं, यह एक वास्तविकता है और इसमें बदलाव आता रहेगा।’
माइक्रोसॉफ्ट और लिंक्डइन के वर्क ट्रेंड इंडेक्स के अनुसार, भारत के 92 प्रतिशत बौद्धिक कर्मी कार्यस्थल पर एआई का उपयोग करते हैं, जबकि वैश्विक आंकड़ा 75 प्रतिशत है।
हालांकि इन दमदार आंकड़ों के बावजूद भारत में प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए चुनौती एआई कुशल पेशेवरों के अभाव से जुड़ी हुई है।
घोष का मानना है कि कंपनियां जिन कौशल और कौशल उन्नयन पहल में निवेश कर रही हैं, उससे समय के साथ प्रतिभा की कमी की समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम एआई में जो बदलाव देख रहे हैं, वह काफी मददगार है और ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। हमने इसी तरह का रुझान तब देखा था जब क्लाउड को अपनाया गया था। वह भी ऐसा समय था जब हमने कौशल, सांस्कृतिक बदलाव, व्यवसाय केंद्रित सोच में बदलाव देखे थे।’
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार के साथ मिलकर माइक्रोसॉफ्ट वर्ष 2025 तक 20 लाख लोगों को एआई संबंधित कौशल प्रदान करने पर विचार कर रही है।
92% नॉलेज वर्कर्स काम में करते हैं एआई का इस्तेमाल
जब काम के दौरान आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग की बात आती है तो भारत के नॉलेज वर्कर्स दुनिया के अन्य देशों की तुलना में इसमें सबसे आगे हैं।
माइक्रोसॉफ्ट और लिंक्डइन के 2024 कार्य रुझान सूचकांक के मुताबिक भारत का 92 फीसदी कार्यबल अपने काम में एआई का उपयोग करता है जबकि वैश्विक आंकड़ा 75 फीसदी का है। इससे समय बचाने, रचनात्मकता बढ़ाने और ध्यान केंद्रित करने के लिए एआई में कर्मचारियों के विश्वास का पता चलता है।
अध्ययन में कहा गया है कि भारत के 91 फीसदी अधिकारियों का मानना है कि कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई अपनाने की जरूरत है, लेकिन 54 फीसदी ऐसे भी हैं जिन्हें चिंता है कि संगठन के पास कार्यान्वयन के लिए योजना और नजरिये की कमी है। माइक्रोसॉफ्ट और लिंक्डइन ने पहली बार चौथी कार्य रुझान सूचकांक के लिए साझेदारी की है।