नियमों को अद्यतन करने की कवायद के बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने 2001 में लाए गए अपने पहले के कानून को खत्म कर दिया है, जिससे डायल-अप और लीज्ड लाइन इंटरनेट एक्सेस सर्विसेज की सेवाओं की गुणवत्ता (क्यूओएस) के मानक सुनिश्चित हो सकें।
गुरुवार को ट्राई ने पहले के नियम को खत्म करने के लिए ट्राई निरसन नियम, 2023 जारी किया, जिसके बारे में उसका मानना है कि उनकी प्रासंगिकता खत्म हो गई है।
नियामक ने तर्क दिया है कि मौजूदा नियमों में फिक्स्ड लाइन और इंटरनेट सेवाओं के आसानी से परिचालन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं। पहले के नियम में इस सेक्टर के शुरुआती दौर में ग्राहकों की संतुष्टि के हिसाब से मानक तय किए गए थे। ये नियम सभी बेसिक सर्विस प्रोवाइडर्स और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स पर लागू होते थे, जिनमें सरकारी कंपनियों एमटीएनएल और बीएसएनए के साथ इस समय बंद हो चुके विदेश संचार निगम लिमिटेड (वीएसएनएल) शामिल हैं।
ट्राई ने नेटवर्क के प्रदर्शन के स्थापित मानक सुनिश्चित करने और इसकी निगरानी के लिए क्यूओएस मानक तैयार किया था, जिससे इंटरनेट सेवा के ग्राहकों के हितों की रक्षा की जा सके।
समय बीतने के साथ वायरलाइन के साथ ही वायरलेस दोनों टेलीकॉम नेटवर्क एक्सडीएसएल, एफटीटीएच, एलटीई और 5 जी तकनीक पर तेज रफ्तार वाली ब्रॉडबैंड सेवाओं की पेशकश करने लगे। ट्राई ने कहा कि लीज्ड लाइन एक्सेस सर्विसेज सामान्यतया इंटरनेट गेटवे सर्विस प्रोवाइडर्स (आईजीएसपी) देते हैं, जिनके पास आईएसपी लाइसेंस होता है। ये सेवाएं या तो इंटरप्राइजेज को अपने लोकल एरिया नेटवर्क (एलएएन) को कनेक्ट करने के लिए दिया जाता है या आईएसपी को दिया जाता है, जिनके पास अपनी इंटरनेट गेटवे सेवा नहीं है।
इसमें कहा गया है, ‘यह सेवा सर्विस लेवल एग्रीमेंट (एलएलए) है, जो सेवा प्रदाता और ग्राहक के बीच होता है।’ ट्राई ने कहा कि सेवा प्रदाताओं को अब ग्राहकों की शिकायत दूर करने को भी प्राथमिकता देनी होगी और प्रतिस्पर्धियों पर अपना प्रभाव डालने से बचना होगा।