लोगों की आम धारणा है कि टमाटर (Tomato Price) के कारण महंगाई बढ़ी है लेकिन जून में टमाटर के कारण खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी नहीं हुई। रसोई में रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली इस सब्जी के दाम में मई 2023 की तुलना में गिरावट आई है।
जून में टमाटर में 34.73 प्रतिशत की अपस्फीति (कीमत में गिरावट रही) जबकि यह मई में 52.80 प्रतिशत थी। जून में लगातार आठवें महीने टमाटर के दाम में गिरावट आई थी। बीते साल जून में टमाटर के दाम 158.43 फीसदी अधिक थे।
हाल के दिनों में टमाटर के दाम तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में स्वाभाविक सवाल यह है कि कैसे सरकारी आंकड़ों में टमाटर के दाम में गिरावट आई। वो भी तब आई है जब टमाटर आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है।
सालाना आधार पर होती है महंगाई की गणना
इसका कारण यह है कि महंगाई की गणना सालाना आधार पर होती है जबकि आम आदमी रोजाना या महीने के आधार पर मूल्य देखता है। ऐसे में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में टमाटर का मूल्य महीने के आधार पर देखते हैं तो इस साल मई की तुलना में जून में 64.46 प्रतिशत का उछाल है। यह सूचकांक जून में 191.1 अंक बढ़ा जबकि मई में 116.2 अंक था। यह सूचकांक आठ महीने के उच्चतम स्तर पर था।
अगर इस सूचकांक पर सालाना आधार पर नजर डालें तो यह सूचकांक जून में 34.73 प्रतिशत कम था और यह सूचकांक जून 2022 में 292.8 अंक पर था। अगर हम टमाटर के वास्तविक मूल्य पर नजर डालें तो टमाटर महंगा हो गया है।
उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार इस साल जून में पूर्वोत्तर सहित देश के पांच क्षेत्रों में टमाटर का मूल्य 32.58 रुपये प्रति किलोग्राम था जबकि यह जून 2022 में 52.03 रुपये प्रति किलोग्राम था। लिहाजा टमाटर के दाम में 37.38 प्रतिशत की गिरावट आई। ऐसा ही टमाटर के दामों में गिरावट उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के सरकारी आंकड़ों में दर्ज होती है।
इसलिए जून के अंत में बढ़े टमाटर का नहीं दिखा असर….
हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार सीपीआई के सरकारी आंकड़े पूरे महीने के भाव नहीं दिखाते हैं। इसलिए जून के अंत में बढ़े टमाटर का असर नहीं दिखा। पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणव सेन ने कहा कि सीपीआई में आमतौर पर संबंधित महीने के पहले दो हफ्तों के आंकड़े लिए जाते हैं।
पिरामल एंटरप्राइजेज के प्रमुख अर्थशास्त्री देबोपम चौधरी ने कहा कि सरकारी आंकड़े देरी से आते हैं। इसलिए जून के अंत और जुलाई में अब तक बढ़े टमाटर के दाम के आंकड़े अगले महीने जुलाई में जारी किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर टमाटर के दाम जून में बढ़ने शुरू होते हैं और अगस्त के अंत में नीचे आते हैं। सरकारी आंकड़ों में देरी से आंकड़े लिए जाने के कारण आमतौर पर सितंबर तक टमाटर के दाम बढ़े नजर आते हैं। चौधरी के मुताबिक, ‘मेरे विचार से अगर सरकार टमाटर के दाम कम करने के लिए कदम नहीं उठाती है तो जुलाई से सितंबर तक टमाटर के दाम ऊंचे रहेंगे।’
आलू के दाम में मई में 13.87 फीसदी की गिरावट
उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार जुलाई (12 तारीख तक) पांच जोन में टमाटर का खुदरा मूल्य 91.73 रुपये प्रति किलोग्राम था जबकि बीते साल पूरे जुलाई के दौरान 39.44 रुपये रहा था। टमाटर के साथ दो अन्य सब्जियों प्याज और आलू के दाम पर सालाना आधार पर महंगाई का दबाव नहीं था। आलू के दाम में मई में 13.87 फीसदी की गिरावट आई जबकि मई में यह 14.37 प्रतिशत थी।
हालांकि प्याज के दाम में 1.65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि बीते साल की आलोच्य अवधि में 5.48 फीसदी की गिरावट आई थी। चार महीने से जारी गिरावट के बाद जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की दर तीन माह के उच्चतम स्तर 4.81 फीसदी पर पहुंच गई जबकि यह बीते महीने 4.31 प्रतिशत थी। खाद्य मुद्रास्फीति 2.96 प्रतिशत से बढ़कर 4.49 फीसदी के तीन माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।