तेल की कीमतों में तेजी (Crude Oil Price) और मॉनसून में बारिश अनियमित रहने से निकट से मध्यम अवधि में बाजार में गिरावट का दौर शुरू हो सकता है।
विश्लेषकों के अनुसार तेल के दाम में तेजी से मुद्रास्फीति और बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ सकते हैं। विश्लेषकों की राय में ऐसे में निवेशकों के लिए बड़े शेयरों में निवेश बनाए रखना ही फायदे का सौदा रहेगा।
एचएसबीसी में इक्विटी स्ट्रैटेजी प्रमुख हेरल्ड लिंडे ने हाल में अपनी एक टिप्पणी में कहा है, भारत के बाजार में मजबूती को तेल के दाम बढ़ने से कुछ चुनौती जरूर मिल रही है। इसके अलावा अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल में तेजी और महंगाई के खतरे से भी भारतीय बाजार की तेज चाल पर असर हो रहा है।
मझोले शेयरों में तेजी तो है मगर सावधान भी रहने की जरूरत है जबिक बड़े शेयर तुलनात्मक रूप से अधिक आकर्षक लग रहे हैं। हेरल्ड ने अमित सचदेव और अनुराग दयाल के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है।
एचएसबीसी के अनुसार पिछले तीन वर्षों से भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बाजारों में शामिल रहा है। भारतीय बाजार के लिए मूल्यांकन में बढ़त इस क्षेत्र (जापान को छोड़कर ) में औसत से अधिक हो गई है।
इस बीच, भारतीय बाजार ने पिछले तीन महीनों में दूसरे बाजारों को प्रदर्शन के मामले में पीछे छोड़ दिया है। एचएसबीसी के अनुसार स्थिर आय (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सालाना आधार पर 17.8 प्रतिशत) की उम्मीदों और अर्थव्यवस्था की सधी चाल का इसमें अहम योगदान रहा है।
मगर मुद्रास्फीति जरूर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सहज स्तर से ऊपर चली गई है, वहीं बाहरी कारण भी चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। बदली परिस्थितियों के बीच निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 के पहले छह महीने में एसऐंपी बीएसई सेंसेक्स ने 11.5 प्रतिशत बढ़त हासिल की है, जबकि बीएसई पर मझोले और छोटे शेयरों में क्रमशः 34 प्रतिशत और 39 प्रतिशत की तेजी आई है।
पिछले कुछ महीनों से बाजार के हालात ने निवेशकों को थोड़ा डरा दिया है, खासकर मझोले एवं छोटे शेयरों के समक्ष चुनौतियों ने स्थिति और पेचीदा बना दी है। मगर विश्लेषकों के अनुसार बाजार में किसी तरह की गिरावट तेज मगर कुछ समय के लिए ही होगी। एचएसबीसी के विश्लेषकों के अनुसार निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक चोकालिंगम जी ने कहा कि तेल कीमतें जल्द ही 100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर पार कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि यूरोप में सर्दी का मौसम शुरू होने से तेल एवं गैस दोनों की मांग बढ़ जाएगी। चोकालिंगम ने कहा कि इससे द्वितीयक बाजार से निवेश भी भुनाए जा सकते हैं। उनके अनुसार मझोले एवं छोटे शेयरों में भारी बिकवाली हो सकती है।