Spectrum Allocation Plan: केंद्र सरकार राष्ट्रीय फ्रीक्वेंसी आवंटन योजना (NFAP) के अद्यतन प्रारूप पर काम कर रही है, जबकि दूरसंचार विधेयक का मसौदा अभी विचाराधीन है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि देश में भविष्य में स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का खाका परिभाषित करते हुए एनएफएपी इस मसले पर स्पष्ट दिशानिदेश दे सकती है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन होगा या नीलामी होगी। साथ ही इस्तेमाल के लिए नए स्पेक्ट्रम बैंड खोले जाने और उसकी नीलामी के बारे में भी दिशानिर्देश आ सकते हैं।
एनएफएपी केंद्र सरकार की नीति है, जिसमें दूरसंचार विभाग, अंतरिक्ष विभाग और सूचना एवं प्रसारण व रक्षा मंत्रालयों सहित सभी राष्ट्रीय प्राधिकारियों द्वारा भविष्य में स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का खाका परिभाषित किया गया है।
इसमें दिए गए व्यापक नियामकीय ढांचे में यह चिह्नित किया गया है कि सेल्युलर मोबाइल सेवा, वाई फाई, साउंड और टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग, एयरक्राफ्ट और शिप के लिए रेडियो नेविगेशन, रक्षा और सुरक्षा संबंधी कम्युनिकेशन, आपदा राहत और आपातकालीन कम्युनिकेशन, सैटेलाइट ब्रॉडकास्टिंग व अन्य कार्यों के लिए कौन से फ्रीक्वेंसी बैंड उपलब्ध हैं।
फ्रीक्वेंसी बैंड उपकरणों के बीच रेडियो वेब्स के माध्यम से वायरलेस डेटा भेजने का साधन होते हैं। इसके पहले एनएफएपी को अक्टूबर 2022 में अद्यतन किया गया था। अधिकारियों ने संकेत दिया कि अद्यतन किया हुआ एनएफएपी साफ तस्वीर पेश कर सकता है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम प्रशासनिक रूप से आवंटित किया जाएगा या इसकी नीलामी की जाएगी। मसौदा टेलीकॉम विधेयक में यह विवादास्पद मसलों में से एक है।
दूरसंचार कंपनियों की ओर से लगातार मांग के बाद 26 गीगाहर्ट्ज जैसे नए स्पेक्ट्रम बैंक को 5जी सेवा के लिए एनएफएपी 2022 में चिह्नित किया गया, जिसे इंटरनैशनल टेलीकॉम यूनियन (आईटीयू) ने 5जी आवंटन के लिए चिह्नित किया है।
सूत्रों ने कहा कि अद्यतन किया गया एनएफएपी 5जी नीलामी के अगले दौर में नए स्पेक्ट्रमों के लिए भी राह खोल सकता है, जिसका आवंटन चालू वित्त वर्ष के दौरान होना है।
सरकार नए बैंड चिह्नित करने पर भी काम कर रही है, जो नीलामी के इस दौर में शामिल होंगे। इस सिलसिले में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से जल्द परामर्श किए जाने की उम्मीद है। जुलाई में पिछले साल की मेगा नीलामी में सभी पंजीकृत दूरसंचार कंपनियों ने 5जी स्पेक्ट्रम लिया था।
ट्राई ने इसके लिए 3,300 से 3,600 मेगाहर्ट्ज बैंक या मिड बैंड स्पेक्ट्रम चिह्नित किया था। लेकिन 26 गीगाहर्ट्ज को 5जी सेवाओं के लिए सबसे बेहतर बैंड के रूप में चिह्नित किया गया है, जो कैप्टिव नेटवर्क के लिए बेहतर माना जाता है। यह मुख्य आकर्षण रहा है।
इस बैंड की पेशकश में 72 प्रतिशत स्पेक्ट्रम के लिए बोली मिली और अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि अगले दौर में बैंड के अन्य हिस्से भी खोले जा सकते हैं। रिलायंस जियो और भारती एयरटेल दोनों कंपनियां लगातार अपना 5जी नेटवर्क बढ़ा रही हैं।
कुल मिलाकर 72,098 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की पेशकश नीलामी के लिए की गई थी, जिसमें से पिछले साल 51,236 मेगाहर्ट्ज बिका था।
5जी सेवा लागू करने के लिए एनएफएपी 2022 ने करीब 17 गीगाहर्ट्ज नया अतिरिक्त स्पेक्ट्रम मुहैया कराया। यह सभी 3 सेग्मेंट रेडियो स्पेक्ट्रम या जो 1 गीगाहर्ट्ज से नीचे है, 1 से 6 गीगाहर्ट्ज और 6 गीगाहर्ट्ज से ऊपर शामिल है।
एयरोनॉटिकल और मैरीटाइम रेडियोकम्युनिकेशन सेवाओं में वैश्विक प्रगति को स्वीकार करते हुए इंटरनैशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन के रेडियो रेगुलेशन 2020 से तालमेल बिठाते हुए अद्यतन प्रावधान लाए गए।
इसमें लाइसेंस से छूट वाली फ्रीक्वेंसी सीमा भी सूचीबद्ध की गई, जिससे मशीन टु मशीन कम्युनकेशन, इंटरनेट आफ थिंग्स और इंडक्टिव ऐप्लीकेशंस जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर कम दूरी का कम्युनिकेशन किया जा सके।
अधिकारियों ने कहा कि अद्यतन एनएफएपी में रेडियो एस्ट्रोनॉमी और गहरे अंतरिक्ष संचार में नवोन्मेष और शोध को बढ़ावा दिए जाने पर जोर हो सकता है।