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FY24 में कॉर्पोरेट दिवाला मामलों का समाधान करीब दोगुना होने की उम्मीद

दिवाला एवं ऋण शोधन संहिता (आईबीसी) के माध्यम से कर्जदाताओं ने करीब 3 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है और पिछले साल रिकवरी 51,000 करोड़ रुपये से ज्यादा थी।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- October 01, 2023 | 10:37 PM IST

कंपनी मामलों के सचिव मनोज गोविल ने रविवार को कहा कि इस वित्त वर्ष में कॉर्पोरेट दिवाला मामलों का समाधान करीब दोगुना बढ़कर 300 हो जाने की उम्मीद है। साथ ही उन्होंने कहा कि तीन गुना भार संभालने योग्य समाधान व्यवस्था बनाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि 300 संख्या अच्छी है, लेकिन लंबित मामलों की संख्या को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। हमारे पास 1,000 मामलों के समाधान की क्षमता होनी चाहिए। यह संख्या आर्थिक माहौल के मुताबिक कम या ज्यादा हो सकती है।’

भारतीय धन शोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) की सातवीं वर्षगांठ को संबोधित करते हुए गोबिल ने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीली पंचाट (एनसीएलएटी) के करीब 90 प्रतिशत मामले दाखिल किए गए हैं और शेष प्रक्रिया में हैं।

गोविल ने कहा, ‘हम कानून और प्रक्रिया पर नजर रख रहे हैं। सरकार आईबीसी मं संशोधन के प्रस्तावों पर भी विचार कर रही है। सभी चर्चा का मकसद देरी में कमी करना है।’

गोविल ने कहा कि सरकार यूनाइटेड नेशंस कमीशन आन इंटरनैशनल ट्रेड लॉ (यूएनसीआईटीआरएएल) में हस्ताक्षरकर्ता बनने के मसले पर अंतर मंत्रालयी चर्चा भी कर रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में पहले के साल की तुलना में 80 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई और 180 मामले हल किए गए और आईबीबीई के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अगस्त तक 135 मामले सफलतापूर्वक हल किए जा चुके हैं।

समाधान पेशेवरों से मामलों में तेजी लाने का अनुरोध करते हुए आईबीबीआई के चेयरपर्सन रवि मित्तल ने कहा कि दिवाला कानून के तहत दबाव वाली संपत्तियों के समाधान के मामले इस साल 300 तक पहुंच सकते हैं।

दिवाला एवं ऋण शोधन संहिता (आईबीसी) के माध्यम से कर्जदाताओं ने करीब 3 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है और पिछले साल रिकवरी 51,000 करोड़ रुपये से ज्यादा थी।

आने वाली प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख करते हुए नैशनल कंपनी ला ट्राइब्यूनल के अध्यक्ष रामलिंगम सुधाकर ने कहा कि प्रीपैकेज्ड दिवाला प्रक्रिया और व्यक्तिगत दिवाला संहिता को बेहतर बनाने की जरूरत है, जिससे सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को सहयोग की जरूरत है। एमएसएमई सेक्टर के समाधान की असल चुनौती है।

नैशनल कंपनी कानून अपील पंचाट के चेयरमैन अशोक भूषण ने भी कहा कि एनसीएलटी और एनसीएलएटी के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की जरूरत है। इसमें प्रक्रिया से जुड़े लोगों को कुशल बनाना और विभिन्न हिस्सेदारों के मुताबिक प्रशिक्षण का तरीका विकसित करना भी शामिल है।

भूषण ने कहा कि आईबीसी की समय समय पर समीक्षा की भी जरूरत है, जिससे कि बदलते कारोबारी माहौल के साथइसका तालमेल सुनिश्चित किया जा सके।

First Published : October 1, 2023 | 10:37 PM IST