पुनीत रानियाल और उनके परिवार के चार सदस्यों ने स्वतंत्रता दिवस के लंबे सप्ताहांत के दौरान मनाली की यात्रा के लिए काफी पहले योजना बना ली थी। लेकिन उन्हें रविवार की दोपहर ही दिल्ली लौटना पड़ा जबकि उन्हें दो दिन बाद वापस आना था।
रविवार की सुबह यानी 13 अगस्त से ही देश के उत्तरी राज्यों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश होने लगी और भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी की थी कि चार-पांच से अधिक दिनों तक यही हाल रहेगा। रानियाल उन कई लोगों में शामिल थे जिन्होंने इस चेतावनी को ध्यान से सुना और वहां से जल्द निकलने का फैसला कर लिया।
अब तक करीब 100 से अधिक लोगों की मौत
इन दिनों हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड में ध्वस्त हुए घरों के मलबे से लोगों को निकालने के लिए राहत-बचाव कार्य जारी है और इस प्राकृतिक आपदा में अब तक करीब 100 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ज्यादातर लोगों की मौत हिमाचल में हुई है जहां भारी बारिश शुरू होने के बाद से ही 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव, रंजित सिन्हा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि राहत बचाव कार्य जारी है और अभी राज्य के पास मरने वालों की कोई निश्चित संख्या नहीं है लेकिन संदेह है कि करीब 40 लोगों की मौत इस प्राकृतिक आपदा की वजह से हुई है।
पर्यटन पर पड़ा प्रभाव
कई जगहों पर सड़कें धंस गई हैं और कई घर बह गए हैं। दोनों ही राज्यों में पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। लोग हालात देखते हुए इन दोनों राज्यों की बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं।
एक सेवानिवृत सेना अधिकारी, भारत भूषण (बदला हुआ नाम) की मंडी में तीन अलग-अलग प्रॉपर्टी है जिन्हें वे पर्यटकों के रहने के लिए किराये पर दिया करते थे। इनमें से दो प्रॉपर्टी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। अच्छी बात यह रही कि वहां मौजूद यात्री आपदा से बच गए और उन्हें मामूली चोटें आईं।
भूषण ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि वह मंडी और आसपास के इलाकों में करीब दो दर्जन ऐसे ही प्रॉपर्टी के मालिकों को जानते हैं जो अपनी खाली प्रॉपर्टी को होटल और होमस्टे की तरह किराये पर देते हैं और उन्हें भारी नुकसान हुआ है।
भूषण ने कहा, ‘हममें से कई लोगों के लिए ये प्रॉपर्टी हमारी आमदनी का निश्चित जरिया बन गए थे और इससे हमें हर साल करीब 20-25 लाख रुपये की आमदनी हो जाती थी। अब हम राज्य सरकार से राहत बचाव के तौर पर पुनर्निर्माण फंड के लिए संपर्क करने की योजना बना रहे हैं।’
कुल्लू मनाली पर्यटन विकास मंडल के अध्यक्ष अनूप ठाकुर भी कहते हैं कि राज्य में पर्यटकों की आवक के लिहाज से जुलाई और अगस्त का महीना आमतौर पर मंदा ही होता है। वह कहते हैं, ‘जुलाई और अगस्त के दौरान होने वाली बारिश के बाद आमतौर पर सितंबर में फिर से कारोबार में तेजी आती है। हालांकि यह सच है कि होटलों में अब तक अग्रिम बुकिंग में तेजी आ गई होती। आपदा से जुड़ी तबाही और बरबादी की खबरों के बीच किसी का फोन नहीं आ रहा है।’
उन्होंने कहा, “न केवल होटल, हॉस्टल और होमस्टे बल्कि पर्यटन उद्योग पर पड़ रहे असर की वजह से वे स्थानीय कारोबार भी प्रभावित हो रहे हैं जो सड़क मार्ग से गुजरने वाले पर्यटकों के बलबूते चलते हैं जिनमें कई खाने-पीने से जुड़े रेस्तरां और सड़क किनारे चलने वाले ढाबे भी शामिल हैं।
हिमाचल में कुल 621 सड़कें यातायात के लिए बंद
हिमाचल के आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक हिमाचल में कुल 621 सड़कें यातायात के लिए बंद कर दी गईं हैं जिनमें अधिकतम 236 सड़कें मनाली, 59 शिमला और 40 बिलासपुर जिले की सड़कें हैं।
सिन्हा का कहना है कि उत्तराखंड में भी बरबादी ऋषिकेश जैसी जगहों के छोटे स्थानों पर सीमित रही है लेकिन पहाड़ों की ओर जाने वाली सड़कें पहाड़ों के गिरने और अचानक आई बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। इन इलाकों में सड़कें या तो बंद कर दी गईं हैं या फिर क्षतिग्रस्त हो गईं हैं या यहां असामान्य तरीके से बढ़ती भीड़ देखी जा रही है। सड़क के किनारे मौजूद ढाबों में भी पिछले कुछ दिनों में लोगों की संख्या काफी तेजी से घटी है।
विनिर्माण इकाइयां सुरक्षित
दोनों राज्यों की सरकारों ने इस बात की ओर इशारा किया है कि पर्वतीय इलाके में बुनियादी ढांचे की बरबारी सीमित है और इससे पर्वतीय राज्य के बड़े विनिर्माण केंद्र प्रभावित नहीं हुए हैं।
सिन्हा कहते हैं, ‘हरिद्वार की विनिर्माण इकाइयां आंशिक रूप से प्रभावित हुई हैं लेकिन इन जगहों पर कोई गतिविधि रुकी नहीं है और न ही कोई कार्य बाधित हुआ है। पंतनगर और सितारगंज की बड़ी विनिर्माण इकाइयां प्रभावित नहीं हुई हैं।’
इसी तरह हिमाचल के आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि राज्य के अहम औद्योगिक क्षेत्र जैसे सोलन में बद्दी भी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित नहीं है।