गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि म्युचुअल फंड अल्पावधि में इक्विटी बाजार को सहारा दे सकते हैं क्योंकि उनके पास अच्छी खासी नकदी है। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि 200 अग्रणी सक्रिय इक्विटी स्कीम में नकदी 4.2 फीसदी है, जो लंबी अवधि के औसत 4.1 फीसदी से थोड़ा ज्यादा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये योजनाएं कुल मिलाकर 6.7 अरब डॉलर की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करती हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, हमने पाया है कि स्मॉलकैप व मिडकैप योजनाओं को एयूएम का 5 से 7 फीसदी नकदी रखना होता है, वहीं लार्जकैप के लिए यह 3 से 4 फीसदी है। हमें लगता है कि देसी इक्विटी फंड अच्छी खासी नकदी पर बैठा है और यह अल्पावधि में बाजारों को सहारा देना जारी रख सकता है।
हाल के वर्षों में म्युचुअल फंडों ने उस दौर में बाजारों को सहारा दिया है जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बिकवाली की है। कैलेंडर वर्ष 2022 में म्युचुअल फंडों ने इक्विटी में शुद्ध रूप से 1.8 लाख करोड़ रुपये झोंके, वहीं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1.2 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की।
इक्विटी बाजार में म्युचुअल फंडोंका निवेश वित्त वर्ष 23 के पहले चार महीनों में सुस्त रहा था, लेकिन निवेशकों की तरफ से शुद्ध निवेश में तीव्र बढ़ोतरी के बीच अगस्त से उनका निवेश जोर पकड़ा।
रिपोर्ट में कहा गया है, देसी इक्विटी एमएफ योजनाओं में मासिक निवेश अगस्त में पांच महीने के उच्चस्तर 20,245 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। स्मॉलकैप व मिडकैप योजनाओं में ज्यादा निवेश आना जारी है और उसने कुल शुद्ध निवेशका एक तिहाई हासिल किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, स्मॉल व मिडकैप फंडों का एयूएम में हिस्सेदारी लार्जकैप फंडों की कीमत पर बढ़ रही है और पिछले चार वर्षों में स्मॉल व मिडकैप फंडों की हिस्सेदारी कुल इक्विटी म्युचुअल फंड एयूएम में 16 फीसदी से बढ़कर 23 फीसदी हो गई, वहीं लार्जकैप फंडों की हिस्सेदारी 19 फीसदी से घटकर 14 फीसदी रह गई।