केदारा कैपिटल करीब 1.7 अरब डॉलर की पूंजी जुटाने की तैयारी कर रही है जो भारत में जुटाई जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी रकम होगी। इस घटनाक्रम से अवगत दो लोगों का कहना है कि कंपनी ने चीन से दूरी बनाते हुए देश की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में दिलचस्पी दिखाई है। केदारा का यह चौथा निवेश होगा और 2021 के पिछले फंडिंग राउंड के मुकाबले 54 प्रतिशत बड़ा होगा।
कंपनी ने यह योजना ऐसे समय बनाई है जब भारत का शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है। हालांकि अभी तक कुछ खास भारत-केंद्रित पीई फंड मौजूद हैं लेकिन उनका आकार तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2011 में टेमासेक और जनरल अटलांटिक के पूर्व अधिकारियों द्वारा स्थापित केदारा भारत के प्रख्यात फंडों में से एक है।
सूत्रों का कहना है कि नए फंड का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा केदारा के पिछले फंडों के निवेशकों से आएगा और 20 प्रतिशत की राशि नए निवेशकों से जुटाई जाएगी, जिनमें अमेरिका की क्लीवलैंड क्लीनिक और यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा शामिल हैं।
केदारा ने इस बारे में विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया है। क्लीवलैंड क्लीनिक और यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा ने भी इस संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है। सूत्रों का कहना है कि यह फंड बैंकिंग, हेल्थकेयर, कंज्यूमर और सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में निवेश करेगा और छोटे तथा बड़े दोनों तरह के खरीद सौदों की तलाश करेगा।
एक अधिकारी के अनुसार निवेशकों ने नए फंड में 2 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश करने की दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन केदारा ने इसे सीमित कर करीब 1.7 अरब डॉलर कर दिया, जिससे कि उसकी निवेश करने की क्षमता पर प्रभाव न पड़े।
आंकड़ों से पता चलता है कि केदारा के पिछले फंडों में कनाडा का ऑन्टेरियो टीचर्स पेंशन प्लान और जर्मन बीमा कंपनी आलियांज, पिचबुक शामिल थे। भारत को निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी का लाभ मिला है, क्योंकि पश्चिमी कंपनियों ने अमेरिका तथा चीन के बीच आर्थिक टकराव को ध्यान में रखते हुए ऊंचे कारोबार के बावजूद चीन से दूरी बनाने पर जोर दिया।