कई निजी इक्विटी फंडों के साथ-साथ जेएसडब्ल्यू स्टील और आर्सेलरमित्तल ने भी ईएसएल स्टील के स्वामित्व वाली लौह अयस्क खदानों और इस्पात संयंत्रों का अधिग्रहण करने में रुचि व्यक्त की है। ईएसएल स्टील अनिल अग्रवाल की वेदांत लिमिटेड का हिस्सा है। इस घटनाक्रम से जुड़े करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सूत्रों ने कहा कि जहां वेदांत समूह ने इन परिसंपत्तियों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्यांकन का संकेत दिया है, वहीं संभावित खरीदार कम मूल्यांकन चाह रहे हैं।
वेदांत ने जून 2018 में दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता के तहत 25 लाख टन प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता वाली तत्कालीन इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स के संयंत्र का अधिग्रहण किया था। यह इस क्षेत्र में इसके प्रवेश का प्रतीक था, लेकिन अब यह ऋण की बढ़ती चिंताओं के कारण यह परिसंपत्ति बेचने पर विचार कर रहा है।
एक सूत्र ने कहा कि इन दोनों परिसंपत्तियां अलग-अलग बेचा जा सकता है और संयुक्त रूप से इनका मांग मूल्य लगभग 10,000 करोड़ रुपये है। हालांकि पेशकश 7,500 करोड़ रुपये से लेकर 8,000 करोड़ रुपये के बीच रहने की उम्मीद है।
संपर्क करने पर वेदांत के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी पूंजी आवंटन की अपनी बातचीत के सामान्य क्रम में अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं की समीक्षा जारी रखे हुए है।
प्रवक्ता ने कहा कि इस संबंध में कंपनी अपने इस्पात और इस्पात निर्माण के कच्चे माल के कारोबार की रणनीतिक समीक्षा कर रही है। इस समीक्षा में हितधारकों के मूल्य को अधिकतम करने के लिए विकल्पों की विस्तृत श्रृंखला का मूल्यांकन किया जा रहा है, जिसमें उपरोक्त कुछ या सभी इस्पात कारोबारों की संभावित रणनीतिक बिक्री शामिल है,
हालांकि यह इन्हीं तक सीमित नहीं है। जेएसडब्ल्यू स्टील और आर्सेलरमित्तल ने इस मामले पर टिप्पणी नहीं की।
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि संयंत्र की बिक्री के संबंध में जेएसडब्ल्यू स्टील से संपर्क किया गया है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक जयंत आचार्य ने पहले कहा था कि जेएसडब्ल्यू स्टील ने विशेष रूप से कर्नाटक और गोवा में वेदांत के स्वामित्व वाली लौह अयस्क खदानों में रुचि दिखाई है। झारखंड में वेदांत के इस्पात संयंत्र के अधिग्रहण से आर्सेलरमित्तल को, जिसने पहले गुजरात में एस्सार स्टील संयंत्र खरीदा था, पूर्वी भारत में पैर जमाने में मदद मिलेगी। इससे जरूरी कच्चा माल पास में ही उपलब्ध हो जाएगा।
एक बोलीदाता ने इस बात का संकेत दिया है कि वेदांत समूह ने पर्यावरण संबंधी जरूरी मंजूरी हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है, जिसके कारण अब तक बिक्री में देर हुई है।
वेदांत समूह के लिए नकदी जुटाने के वास्ते यह सौदा महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वह अपनी मूल कंपनी वेदांत रिसोर्सेज को एक अरब डॉलर का कर्ज चुकाने में मदद कर सकती है, जो अगले साल जनवरी तक चुकाया जाना है।