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प्रवासियों की निवेश सीमा बढ़ी; SEBI ने एनआरआई, एमएफ के लिए नियमों में दी ढील

वर्तमान में प्रवासी भारतीयों और भारत के विदेशी नागरिक (OCI) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) में 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रख सकते हैं।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- April 30, 2024 | 11:02 PM IST

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने प्रवासी भारतीयों (NRI) को गिफ्ट सिटी में स्थित वैश्विक कोष में 100 फीसदी स्वामित्व की आज मंजूरी दे दी। इसके साथ ही पैसिव फंडों को समूह की कंपनियों में ज्यादा निवेश की भी अनुमति दी गई है।

वर्तमान में प्रवासी भारतीयों और भारत के विदेशी नागरिक (OCI) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) में 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रख सकते हैं। ज्यादा निवेश की अनुमति से घरेलू शेयरों में प्रवासी भारतीयों की ओर से अधिक निवेश आने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

सेबी ने कहा, ‘एफपीआई द्वारा सभी एनआरआई/ओसीआई के स्थायी खाता क्रमांक (PAN) की प्रति जमा कराने के साथ ही एफपीआई में उनके आर्थिक हित की जानकारी देने की शर्त पर ही 100 फीसदी योगदान की अनुमति होगी।’

बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि एनआरआई/ओसीआई के लिए उदार व्यवस्था से गिफ्ट सिटी में कोष पारिस्थितिकी को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही विदेश में बसे भारतीयों से वाजिब निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी। किसी वैश्विक कोष में एनआरआई और ओआईसी की समेकित हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम होती है जबकि अकेले एनआरआई या ओसीआई के लिए 50 फीसदी की सीमा तय की गई है।

प्राइसवाटरहाउस ऐंड कंपनी में पार्टनर सुरेश स्वामी ने कहा, ‘इस बढ़ी हुई भागीदारी के लिए तय शर्तें विनियामक जोखिम के प्रबंधन की अनिवार्यता के साथ लचीलेपन की आवश्यकता को संतुलित करने के मकसद से तैयार तैयार की गई हैं।’

हालांकि ऐसे एफपीआई को अभी भी पिछले साल अगस्त में नियामक द्वारा जारी आर्थिक हित और अंतिम स्वामित्व पर विस्तृत खुलासा मानदंडों का पालन करना होगा। इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि प्रवासी भारतीयों के नियमों का उपयोग 25 फीसदी न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता अनिवार्यता जैसे नियमों को दरकिनार करने के लिए नहीं किया जाएगा।

वर्तमान में म्युचुअल फंड की योजनाएं समूह कंपनियों में अपनी शुद्ध संपत्ति मूल्य का 25 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकती हैं। हालांकि यह सीमा को कुछ शर्तों के साथ 35 फीसदी तक बढ़ा दी गई है।

सेबी ने फंड हाउसों को डीलरों एवं फंड मैनेजरों द्वारा सभी बातचीत को रिकॉर्ड करने की आवश्यकता के मद्देनजर फ्रंट-रनिंग को रोकने के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार करने का भी निर्देश दिया है।

बाजार नियामक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के प्रबंधन पर अधिक जिम्मेदारी एवं जवाबदेही डालते हुए फंड हाउस को व्हिसल ब्लोअर की व्यवस्था बनाए रखने के लिए बाध्य करेगा। सेबी ने कहा कि ऐसी व्यवस्था तैयार होने के बाद परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के कर्मचारियों को सख्त नियमों से राहत मिलेगी।

First Published : April 30, 2024 | 10:10 PM IST