कुछ ऋणदाताओं ने स्प्रेड घटाकर पिछले कुछ महीनों में ब्याज दरें कम की हैं। उनके पास 50 आधार अंक सस्ता होम लोन मिले तो फौरन लपक लें
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 10 अगस्त को मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान रीपो दर में कोई बदलाव नहीं किया और उसे 6.5 फीसदी पर बनाए रखा। खुदरा मुद्रास्फीति में हालिया तेजी के कारण केंद्रीय बैंक ने दरें छेड़ने से परहेज किया और चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान भी पहले से 30 आधार अंक बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया।
बैंक ने 2024-25 की पहली तिमाही में भी खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया, जिससे पता चलता है कि महंगाई काफी समय तक 4 फीसदी के आरबीआई के सहज दायरे से ज्यादा रह सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरें लंबे समय तक इसी स्तर पर बनी रहेंगी और उनमें कटौती की शुरुआत अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ही होने की संभावना है।
होम लोन: स्विच या प्रीपेमेंट
चूंकि रीपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया, इसलिए जिन कर्जदारों के फ्लोटिंग दर वाले होम लोन बाहरी बेंचमार्क से जुड़े हैं, उनकी मासिक किस्त (ईएमआई) या कर्ज की अवधि में कोई इजाफा नहीं होगा।
पैसाबाजार के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) नवीन कुकरेजा कहते हैं, ‘जिनके फ्लोटिंग दर वाले लोन एमसीएलआर और दूसरे अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क से जुड़े हैं, उनकी ब्याज दर बढ़ सकती है। इसमें इजाफा कर्ज देने वाली संस्था के आंतरिक बेंचमार्कों और लोन की दर बदलने की तारीख पर निर्भर करता है।’
पहले से लिए गए लोन पर वेटेड औसत ब्याज दर लगातार 14 महीनों से बढ़ रही हैं, नए कर्ज की दरें अभी ऊपर-नीचे हो रही हैं। बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं, ‘नए कर्ज पर ब्याज की दरें पिछले कुछ महीनों में गिरी हैं, जिससे पता चलता है कि बैंक फिलहाल ग्राहकों के लिए दरें जस की तस बनाए रखने की कोशिश में हैं।’
रीपो दर 4 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी हो चुकी हैं। शेट्टी कहते हैं, ‘मार्च 2022 में पांच बड़े बैंकों ने 6.5 से 6.7 फीसदी की ब्याज दर कर्ज दिए। अप्रैल 2023 में उनमें से तीन की ब्याज दरें 9 फीसदी तक पहुंच गईं। इस समय उनमें से चार बैंक 8.4 से 8.6 फीसदी दर पर होम लोन दे रहे हैं।’ बैंकों ने नए कर्ज पर स्प्रेड घटाकर ब्याज दरें भी कम की हैं। 2019-20 में उनका स्प्रेड 3 फीसदी था, जो इस समय 1.9 फीसदी तक रह गया है।
वेटेड औसत ब्याज दरों और नए कर्ज की ब्याज दरों के बीच अंतर बताता है कि बड़ी तादाद में कर्जदार बाजार की दरों से अधिक ब्याज दर पर कर्ज चुका रहे हैं। शेट्टी की सलाह है, ‘अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले जिन कर्जदारों को बाजार दर से ज्यादा ब्याज दर झेलनी पड़ रही है, उन्हें बैंक बदलने के बारे में सोचना चाहिए। उन्हें देखना चाहिए कि अभी कितनी कम ब्याज दर पर उन्हें करेज मिल सकता है।’ अगर 50 आधार अंक का फर्क दिखे तो कर्ज को रीफाइनैंस कराना फायदेमंद हो सकता है।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन की राय है, ‘जिनका कर्ज पहले से चल रहा है, वे अपने पास मौजूद अतिरिक्त नकदी का इस्तेमाल लोन का एक हिस्सा चुकाने में कर सकते हैं।’
कर्जदार की रजामंदी
अतीत में फ्लोटिंग दर वाले कर्ज की अवधि मनमाने ढंग से बहुत अधिक बढ़ाए जाने के कई मामले सामने आए हैं। रिजर्व बैंक ने कर्ज देने वाली कंपनियों के लिए भी आचार संहिता बनाने की बात कही है। उन्हें कर्ज की अवधि या ईएमआई बढ़ाने से पहले कर्जदार को स्पष्ट तरीके से इस बारे में बताना होगा। उन्हें अपने ग्राहकों को कर्ज के लिए फ्लोटिंग दर छोड़कर फिक्स्ड यानी निश्चित ब्याज दर अपनाने का विकल्प भी देना होगा और कर्ज समय से पहले खत्म करने की सहूलियत भी देनी होगी।
कई कर्जदारों को पता ही नहीं होता कि कर्ज की मियाद बढ़ने से ब्याज की रकम भी बढ़ जाती है। कुकरेजा कहते हैं, ‘मियाद बढ़ाने से पहले कर्जदार से रजामंदी लेना अनिवार्य किए जाने से उन्हें सोच समझकर यह फैसला लेने में मदद मिलेगी कि ईएमआई बढ़ाई जाए या कर्ज की अवधि।’
एफडी में अभी करें निवेश
बैंकों के पास बकाया रुपया जमा पर ब्याज की औसत दरें 15 महीने से बढ़ रही हैं। शेट्टी कहते हैं, ‘ग्राहकों के लिए सबसे ऊंची ब्याज दरों पर एफडी कराने का यह सबसे बढ़िया समय है।’
यदि आपकी पहले से चल रही एफडी की ब्याज दर और इस समय मिल रही ब्याज दर में अच्छा खासा अंतर है और एफडी तोड़ने में आपको ज्यादा जुर्माना नहीं देना पड़ रहा है तो एफडी तोड़िए और बेहतर ब्याज पर नई एफडी करा लीजिए।
छोटी अवधि के डेट म्युचुअल फंड
निवेशकों को अपने डेट म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा कम अवधि वाले फंडों में निवेश करना चाहिए। इनमें प्रतिफल अभी सपाट है। धवन कहते हैं, ‘बड़ी अवधि के जोखिम का निवेशकों को ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा।’
दरों में कटौती टलने से उन्हें पूंजीगत लाभ भी नहीं होगा। धवन के मुताबिक लंबी अवधि के लिए निवेश करने वालों को टारगेट मैच्योरिटी फंड चुनने चाहिए। कारपोरेट ट्रेनर (डेट मार्केट्स) और लेखक जॉयदीप सेन की सलाह है, ‘निवेशकों को अपनी निवेश अवधि के मुताबिक ही फंड की अवधि चुननी चाहिए।’