तेलंगाना सरकार ने रविवार को राज्य में धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रत्येक परिवार के लिए एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता की अधिसूचना जारी की। राज्य सरकार ने पहले पिछड़ी जातियों के लिए इस योजना की घोषणा की थी। लेकिन अब इसका दायरा इसने अल्पसंख्यकों के लिए बढ़ा दिया है।
चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता लागू किए जाने में अब महज 75 दिन बचे हैं और जिन पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनमें से चार राज्यों की सरकारों ने पिछले कुछ हफ्ते के दौरान कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में राज्य सरकारों ने लोगों को महंगाई से बचाने के लिए कुछ सामाजिक सुरक्षा भत्तों की घोषणा की है या उनके खाते में पैसे हस्तांतरित किए हैं। इसके साथ-साथ इन राज्य सरकारों ने वादा भी किया है कि अगर मतदाताओं ने सत्तासीन पार्टी को वोट दिए तब और भी लाभ दिए जाएंगे।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 55 लाख अल्पसंख्यकों में तेलंगाना की आबादी का 14.24 प्रतिशत शामिल था। तेलंगाना में मुस्लिम समुदाय सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह हैं और इसकी 3.5 करोड़ (2011 की जनगणना के अनुसार) की कुल आबादी का यह 12.68 प्रतिशत है। इनमें से कम से कम आधे ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम क्षेत्र में रहते हैं जिसमें हैदराबाद, रंगा रेड्डी और मेडक जिले में करीब 24 विधानसभा सीटें हैं।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को उम्मीद है कि वह अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यकों के लिए पेश की गई अपनी कल्याणकारी योजनाओं के बलबूते ही करीब 10 साल की सत्ता विरोधी लहर को मात दे सकते हैं।
उनका यह भी मानना है कि उनकी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) भारत के सबसे युवा राज्य में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर सकती है। हालांकि बीआरएस को इस बात की चिंता भी है कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के चलते पार्टी अल्पसंख्यकों के बीच कुछ जनाधार खो सकती है।
तेलंगाना में पेश की गई कल्याणकारी योजना के अनुसार, 1.5 लाख रुपये सालाना से कम आमदनी वाले ग्रामीण परिवारों और 2 लाख रुपये से कम आमदनी पाने वाले शहरी परिवारों को एक लाख रुपये मिलेंगे जिसके लिए राज्य सरकार पूरी तरह से सब्सिडी देगी। हाल ही में, राज्य सरकार ने विशेष रूप से विकलांग लोगों के लिए दिए जाने वाले पेंशन की राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 4016 रुपये मासिक कर दी है। इसने अपने स्वास्थ्य बीमा कवरेज, ‘आरोग्यश्री’ की राशि 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी।
तेलंगाना सरकार ने राज्य की गरीबी में कमी का श्रेय अपनी कल्याणकारी योजनाओं और सिंचाई में सुधार को दिया जिससे कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिली। नीति आयोग ने पिछले सप्ताह कहा था कि राज्य में गरीबी वर्ष 2015-16 के 13.18 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 5.88 प्रतिशत हो गई।
पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले हफ्ते विरोध प्रदर्शन कर रहे राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में चार प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की। यह वृद्धि हाल ही में वादा किए गए पांच प्रतिशत की वृद्धि के बाद की गई है। इससे करीब 5 लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा लेकिन इससे सरकारी खजाने पर 2000 करोड़ रुपये के खर्च का बोझ बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुबंध पर काम कर रहे 37,000 कर्मचारियों के वेतन में 27 प्रतिशत की वृद्धि होगी और राज्य सरकार पर 350 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सरकार ने 1,650 अतिथि शिक्षकों, पटवारियों, पुलिस कांस्टेबलों आदि के पारिश्रमिक में वृद्धि की घोषणा की।
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अभी मतदाताओं को अभी उस पर विश्वास जताने और विपक्षी दल कांग्रेस की ‘पांच गारंटी’ योजना को नहीं मानने के लिए मनाने में लगी है।
जून में मुख्यमंत्री चौहान ने लाडली बहन योजना के तहत 21 से 60 वर्ष तक की 1.24 करोड़ महिला लाभार्थियों के खाते में एक हजार रुपये भेजे और वादा किया कि अगर उनकी सरकार दिसंबर में फिर से सत्तासीन होगी तो वह इस मासिक भत्ते को बढ़ाकर 3 हजार रुपये कर देंगे। साथ ही उन्होंने आंगनबाड़ी सेविकाओं की सहायता राशि 10 हजार से बढ़कर 13 हजार रुपये कर दी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अभी चल रहे आखिरी मॉनसून सत्र के दौरान राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक को पारित कराने का प्रयास किया। इस कानून से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 100 दिनों के रोजगार में 25 दिनों का इजाफा और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत 125 दिन काम मिलेगा।
अगर इतने दिनों तक काम उपलब्ध नहीं कराया जाएगा तो सरकार बेरोजगारी भत्ता भी देगी। यह इस कारण भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि राजस्थान का औसत मनरेगा कार्यदिवस कभी 56 दिनों से ज्यादा नहीं रहा है। एक अन्य कानून में बुजुर्गों, दिव्यांगों, विधवाओं और अकेले रहने वाली महिलाओं को 15 फीसदी सालाना बढ़ोतरी के साथ 1 हजार रुपये मासिक पेंशन देने का वादा किया है। सरकार ने पेंशन भुगतान के लिए 12 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है।