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नए क्षेत्रों पर दांव लगा रहीं FMCG कंपनियां

FMCG क्षेत्र की कुछ अन्य कंपनियां भी ऐसे नई श्रेणियों में प्रवेश कर रही हैं, जो उनके मौजूदा कारोबारों से मेल खाती हैं।

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शार्लीन डिसूजा   
Last Updated- December 11, 2023 | 12:04 AM IST

गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स दक्षिण भारत में ‘फैब’ ब्रांड नाम के तहत अपने लिक्विड डिटर्जेंट के विपणन का परीक्षण कर रही है। हालांकि डिटर्जेंट के क्षेत्र में यह कंपनी का पहला कदम नहीं है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि यह शुरुआत इस श्रेणी में बड़ी भूमिका निभाएगी, खास तौर पर 99 रुपये प्रति लीटर के प्रतिस्पर्धी दामों के साथ। कंपनी के पास विंटर वियर वॉश के लिए पहले से ही गोदरेज ईजी है।

दैनिक उपभोक्ता वस्तु (FMCG) क्षेत्र की कुछ अन्य कंपनियां भी ऐसे नई श्रेणियों में प्रवेश कर रही हैं, जो उनके मौजूदा कारोबारों से मेल खाती हैं। विश्लेषकों के मुताबिक कंपनियां कम पहुंच वाली ऐसे श्रेणियों के लिए प्रयास कर रही हैं, जो राजस्व और मार्जिन दोनों के ही लिहाज से ज्यादा वृद्धि प्रदान करती हों।

मसलन, बिस्कुट विनिर्माता के रूप में प्रसिद्ध पारले प्रोडक्ट्स ने गेहूं के आटा बाजार में दोबारा प्रवेश किया है। इससे पहले साल 1996 में इसने गेहूं का पैकेज्ड आटा पेश किया था लेकिन मांग नहीं बढ़ने की वजह से इस श्रेणी से बाहर हो गई। पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने इस श्रेणी में दोबारा प्रवेश के बारे में बताते हुए बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि अब गेहूं के पैकेज्ड आटे की मांग काफी ज्यादा है।

शाह ने बताया कि कंपनी बिस्कुट के लिए पहले से ही थोक में गेहूं का आटा खरीद रही है और इसलिए इसकी पैकिंग तथा बिक्री हमारे लिए तर्कसंगत है। अपने स्नैक और नमकीन के लिए प्रसिद्ध बिकानो बीकानेरवाला फूड्स ने उप-ब्रांड ‘स्वाद अनुसार’ के तहत भारतीय मसाला श्रेणी में प्रवेश किया है। कंपनी के लिए यह कदम स्वाभाविक तौर पर प्रगति के रूप में सामने आया है।

बिकानो, बीकानेरवाला फूड्स के निदेशक मनीष अग्रवाल ने कहा शीर्ष मसाला कंपनियों ने पिछले साल के दौरान इस क्षेत्र में या तो अपनी मौजूदगी स्थापित की है या उसमें विस्तार किया है, जिसे देश के 70,000 करोड़ रुपये के पूरे मसाला उद्योग का 36 प्रतिशत तक माना जाता है। बाकी 64 प्रतिशत बाजार असंगठित है।

First Published : December 11, 2023 | 12:04 AM IST