श्रीलंका, थाईलैंड और मलेशिया ने पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहित करने के वास्ते भारतीयों के लिए वीजा की आवश्यकता समाप्त कर दी है। ऐसी खबरें हैं कि वियतनाम भी ऐसी ही नीति शुरू करने पर विचार कर रहा है।
थाईलैंड अपने पूर्वी आर्थिक गलियारे में भारतीय नागरिकों के लिए 10 वर्ष की अवधि का निवेशक वीजा शुरू कर सकता है। इन देशों के निर्णयों से लगता है कि वे भारतीय पर्यटकों को अधिक महत्त्व दे रहे हैं। भारतीय सैलानी कोविड महामारी के बाद आर्थिक सुधार में इन देशों के पर्यटन क्षेत्र की मदद कर रहे हैं।
यात्रा वीजा मुक्त किए जाने से कई तरह की झंझट समाप्त हो जाएंगी और इसका परिणाम यह होगा कि पर्यटकों की आमद बढ़ जाएगी। चीन से आने वाले पर्यटकों की संख्या कम होने के बाद दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
श्रीलंका सरकार का इस संबंध में उठाया गया कदम आवश्यकता से अधिक जुड़ा हुआ है। वहां की सरकार ऋण के बोझ से कराह रही अर्थव्यवस्था को उबारना चाहती है। ऑस्ट्रेलिया और रूस ने भी वीजा संबंधित प्रक्रियाएं सरल बना दी हैं। इन देशों ने अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ई-वीजा की शुरुआत की है।
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और भारतीयों में विदेश यात्रा की ललक भी बढ़ती जा रही है। भारत से बड़ी संख्या में लोग घूमने या अन्य कार्यों के लिए विदेश जा रहे हैं।
एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार संस्था के अनुमान में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक भारत विदेश यात्रा पर खर्च करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश बन जाएगा। भारत के लोगों में विदेश यात्रा के प्रति अति उत्साह के कई कारण हो सकते हैं।
कोविड महामारी के बाद वैश्विक स्तर पर सीमाएं खुलने के बाद लोग विदेश यात्रा करने की अपनी इच्छा जमकर भुना रहे हैं। यह सबसे महत्त्वपूर्ण कारण माना जा सकता है। भारत में आबादी का स्वरूप भी एक बड़ा कारण रहा है। युवा लोगों में विदेश यात्रा करने की ललक अधिक बढ़ रही है।
कुछ खंडों में भारतीय उपभोक्ता बाजार का बढ़ता आकार संकेत दे रहा है कि ऐसे भारतीय परिवारों की संख्या बढ़ी है जो घूमने-फिरने एवं मनोरंजन पर अधिक खर्च करने की क्षमता रखने लगे हैं। वर्ष 2019 में यात्रा एवं पर्यटन पर लगभग 15 करोड़ डॉलर खर्च हुए थे और अनुमान है कि 2030 तक यह बढ़कर 410 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
भारतीयों ने वर्ष 2022-23 के दौरान व्यक्तिगत यात्राओं पर 21 अरब डॉलर खर्च किए। यह आंकड़ा वर्ष 2021-22 की तुलना में 90 प्रतिशत अधिक है। यूरोपीय संघ के शेनगन और अमेरिका के वीजा के लिए प्रतीक्षा अवधि लंबी होने से दक्षिण-पूर्व एशियाई देश भारतीयों के लिए घूमने-फिरने के आकर्षक केंद्र बनते जा रहे हैं।
इस बीच, भारत सरकार स्थानीय स्तर पर पर्यटन की संभावनाएं बढ़ाने पर ध्यान दे रही है जो स्वागत योग्य कदम है। वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में पर्यटन के लिए 2,400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में यह राशि 18.24 प्रतिशत अधिक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की नवीनतम कड़ी में देश के नागरिकों से विदेश में विवाह समारोह आयोजित करने से बचने का आग्रह किया है। सरकार ने हाल में एक अभियान की शुरुआत की जिसमें भारत को विवाह समारोह आयोजित करने के विशिष्ट स्थान के रूप में दिखाया गया है।
पर्यटन उद्योग में श्रम की अधिक आवश्यकता पड़ती है, इसलिए इसमें बड़ी संख्या में रोजगार सृजित होने की अपार संभावनाएं हैं। इस दृष्टिकोण से भारतीयों के विदेश यात्रा करने की तरफ बढ़ते रुझान को स्थानीय स्तर पर संभावनाओं के नुकसान के रूप में देखा जा सकता है।
भारत में एक जीवंत पर्यटन क्षेत्र विकसित करने के लिए सरकार के सभी स्तरों पर प्रयास की आवश्यकता होगी। केंद्र सरकार, राज्यों और स्थानीय निकायों को देश में पर्यटन केंद्र विकसित करने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा। इसके लिए सरकार को आधारभूत ढांचे में निवेश करने के साथ स्थानीय एवं विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के वास्ते सुविधाएं विकसित करनी होंगी।
विदेशी पर्यटकों को रिझाने के लिए वीजा नीति उदार बनाने से निकट अवधि में उनकी आमद बढ़ जाएगी। परंतु ऐसा करते समय भारत को सतर्क रहने की भी आवश्यकता है। उसे अल्प अवधि में बड़ी संख्या में वीजा निर्गत करने के लिए एक ठोस प्रशासनिक ढांचा तैयार करना होगा।
वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद विदेशी नागरिकों के टिके रहने, तस्करी, अनियमित पलायन और वीजा मुक्त देशों से आश्रय आवेदनों से जुड़े मामलों से भी भारत को निपटना होगा।