कर संरचना (Tax Structure) में बदलाव के बाद विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश करने वाली म्युचुअल फंड योजनाओं के प्रवाह में भारी गिरावट दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 2024) के पांच महीनों में अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड योजनाओं का हर महीने औसतन केवल 270 करोड़ रुपये का सकल प्रवाह रहा। यह पिछले साल की समान अवधि के दौरान 490 करोड़ रुपये था।
लगभग सभी फंड हाउसों द्वारा इस प्रकार की योजनाओं में खरीदारी की गई है मगर फिर भी गिरावट दिख रही है। अधिक बिकवाली के कारण इसमें ताजा निवेश की गुंजाइश बनती है।
जनवरी 2022 के अंत में फंड हाउसों को अपनी योजनाओं में प्रवाह को सीमित करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वे 7 अरब डॉलर की विदेशी निवेश सीमा के समाप्ति के करीब थे। तब से उन्हें अपनी योजनाओं की खरीद के लिए अनुमति तभी दी गई बिकवाली के कारण इसमें ताजा निवेश की गुंजाइश बनती दिखी।
इस साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड योजनाओं को कर का झटका तब लगा जब सरकार ने ऋण और अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड योजनाओं से प्राप्त कर लाभों को खत्म करने का निर्णय किया। इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024) से किसी भी म्युचुअल फंड योजना जो अपनी 35 फीसदी रकम भारतीय इक्विटी में निवेश करती है निवेशक कर दरों के अधीन है। पहले ये योजनाएं दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कराधान के लिए पात्र थीं।
सकल प्रवाह में गिरावट और बिकवाली बढ़ने के कारण विदेशों में निवेश करने वाले फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) में शुद्ध प्रवाह में लगातार पांच महीनों तक शुद्ध बहिर्वाह देखा गया है। इस अवधि (अप्रैल-अगस्त) में निवेशकों ने विदेशी एफओएफ से कुल मिलाकर 1,670 करोड़ रुपये की निकासी की है। विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि कराधान एक कारक है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय योजनाओं में प्रवाह रिटर्न के कारण होता रहेगा।