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वाहन कलपुर्जा उद्योग को 2023-24 में 10 फीसदी से ऊपर वृद्धि की उम्मीद

त्योहारी सीजन में रिकॉर्डतोड़ बिक्री के साथ ही वाहनों की सभी श्रेणियों में बिक्री के आंकड़े कोरोना महामारी से पहले जितने हो गए हैं।

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Rishabh Krishna Saxena   
Last Updated- December 20, 2023 | 9:50 PM IST

देश में वाहनों की बिक्री इस साल रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना रही है, जिसका असर वाहन पुर्जा उद्योग (Auto parts industry) पर भी नजर आ रहा है। इस उद्योग ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 2.98 लाख करोड़ रुपये की बिक्री की, जो अप्रैल-सितंबर 2023 की पहली छमाही से 12.6 फीसदी ज्यादा रही।

वाहल कलपुर्जो निर्माताओं के संगठन एक्मा को उम्मीद है कि महंगी और ताकतवर कारों तथा प्रीमियम बाइक की बढ़ती बिक्री के बीच दूसरी छमाही में भी यह सिलसिला जारी रहेगा और 2023-24 में कुल वृद्धि दो अंकों में ही रहेगी। पुर्जा उद्योग को रफ्तार देने के लिए पूंजीगत खर्च में भी कोई कमी नहीं की जा रही है। अगले पांच साल में उद्योग 6.5 से 7 अरब डॉलर खर्च करने जा रहा है।

एक्मा की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने आज कहा, ‘यह निवेश मूल्यवर्द्धन बढ़ाने, तकनीक सुधारने और स्थानीयकरण को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा ताकि देसी और विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय पुर्जा उद्योग काम का बना रहे।’ उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल में वाहन पुर्जा कंपनियों ने कुल 3.5 से 4 अरब डॉलर के बीच रकम खर्च की है।

बिक्री के आंकड़े कोरोना महामारी से पहले जितने

त्योहारी सीजन में रिकॉर्डतोड़ बिक्री के साथ ही वाहनों की सभी श्रेणियों में बिक्री के आंकड़े कोरोना महामारी से पहले जितने हो गए हैं। इसलिए उद्योग को बिक्री में तेज इजाफे की उम्मीद है।

हालांकि पहली छमाही में वृद्धि का आंकड़ा पिछले साल की पहली छमाही का एक तिहाई ही है मगर एक्मा के महानिदेशक विनी मेहता ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में उद्योग महामारी के बाद पटरी पर लौट रहा था, जिसकी वजह से मांग एकाएक बढ़ गई थी।

मेहता ने कहा कि सभी श्रेणियों के वाहन निर्माताओं के साथ निर्यात और आफ्टरमार्केट श्रेणी में वाहन पुर्जों की आपूर्ति पहले की रफ्तार से बरकरार है। उन्होंने कहा कि हालिया संपन्न छमाही में पुर्जों का निर्यात लगभग 3 फीसदी बढ़कर 10.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया और विदेश से आयात करीब 4 फीसदी इजाफे के साथ 10.6 अरब डॉलर रहा।

निर्यात के मामले में अमेरिका और यूरोप सबसे आगे रहे। सबसे ज्यादा 28 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिका की रही और यूरोप उससे कुछ ही पीछे रहा। मेहता ने कहा, ‘यूरोप में उथलपुथल और मंदी जैसे माहौल की वजह से निर्यात अनुमान से कुछ कम रहा।’

First Published : December 20, 2023 | 9:44 PM IST