केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 169 शहरों में ई बसों को बढ़ावा देने के लिए ‘पीएम-ई बस सेवा’ को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। केंद्रीय खेल, युवा मामलों और सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक, ’10,000 नई इलेक्ट्रिक बसों के लिए कुल 57,613 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।’ इसमें उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां व्यवस्थित परिवहन सेवा की कमी है।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार 20 हजार करोड़ रुपये देगी और शेष राशि राज्यों को देनी होगी। इस योजना में देश के उन शहरों को शामिल किया जाएगा, जिनकी 2011 की जनगणना के अनुसार तीन लाख से अधिक आबादी है। इस योजना में संघशासित प्रदेशों, उत्तर पूर्व क्षेत्र और पहाड़ी राज्यों की राजधानियां भी शामिल होंगी। सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत इन चुने गए शहरों में 10 साल तक ई बसें मुहैया करवाई जाएंगी।
हरित शहरी गतिशीलता पहल के अंतर्गत कुल 181 शहरों में चार्जिंग की आधारभूत ढांचे को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे केंद्र के राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस योजना के अंतर्गत 50,000 ई बसें की सेवाएं मुहैया कराने में मदद मिलेगी। इससे 2030 तक ई बसों का दायरा बढ़ाकर 40 फीसदी और 2070 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने में भी मदद मिलेगी। हालांकि कैबिनेट के नोट में इसका उल्लेख नहीं किया गया कि इस योजना के लिए कौन सा नोडल मंत्रालय है।
इस सिलसिले में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह योजना आवास और शहरी मंत्रालय के अधीन आ सकती है। इस योजना में तीन लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों को बसें मुहैया करवाने का लक्ष्य है। लेकिन इस योजना से फेम दो के अंतर्गत प्रोत्साहन प्राप्त 40 लाख से अधिक आबादी वाले नौ शहरों को फायदा नहीं मिलेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की केंद्र की महत्त्वाकांक्षी योजना फेम दो है।